कुण्डलिया की कुण्डलियाँ- कन्हैया साहू ‘अमित’

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ। ********************************कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।**दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।**इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।**उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।**कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।**शब्द चयन है सार, शिल्प अनुपम कुंडलिया।* *रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।**रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।**ग्यारह तेरह बंद, अंत में … Read more

पाप-कुण्डलियाँ

                पाप-कुण्डलियाँ निर्जन पर्वत में अगर ,                        करो छुपाकर पाप ।आज नहीं तो कल कभी ,                      करें कलंकित आप ।।करें कलंकित आप ,          … Read more

अनेकता में एकता कविता- डॉ एन के सेठी

अनेकता में एकता कविता                           (1)हमे वतन  से प्यार है ,भारत  देश  महान।अनेकता में एकता ,  इसकी है पहचान।।इसकी  है  पहचान ,  ये  है  रंग  रंगीला।मिल जाते सबरंग , गुलाबी नीला पीला।।कहे नवलनवनीत ,महिमा बड़ीअपार है।संस्कृतिहै प्राचीन ,हमको इससे प्यार है।।     … Read more

धनतेरस -रामनाथ साहू ” ननकी “

                * धनतेरस * धनतेरस पर कीजिए ,                   धन लक्ष्मी का मान ।पूजित हैं इस दिवस पर ,                     धन्वंतरि भगवान ।।धन्वंतरि भगवान ,         शल्य के जनक चिकित्सक ।महा … Read more

अमित की कुण्डलियाँ

अमित की कुण्डलियाँ माता भव भयहारिणी, करिये हिय भयहीन।*जगजननी जगदंबिका, जीवन कृपा अधीन।जीवन कृपा अधीन, मातु सुत तुम्हीं सम्हारो।विनती बारंबार, व्यथा से हमें उबारो।कहे ‘अमित’ कविराज, आप ही सुख-दुख दाता।सुनिये करुण पुकार, आज ओ मेरी माता। भव्य भवानी भाविनी, भवपाली हैं आप।संकट विकट उबारिए, हरिए मन अभिताप।हरिए मन अभिताप, अगोचर अज अविनाशी।दें वैभव वरदान, सिद्धि … Read more