खुशनसीब -माधुरी डड़सेना मुदिता

खुशनसीब मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे यार मिल गया दिल को बड़ा सकूं है दिलदार मिल गया । दर दर भटक रहे थे कभी हम यहाँ वहाँअब डर नहीं किसी से सरकार मिल गया । हमराज बन गए हैं दिन रात अब नयारंगत बहार में है इतबार मिल गया । दुनिया बड़ी ही जालिम जीने … Read more

गुलबहार -माधुरी डड़सेना

गुलबहार होश में हमीं नहीं सनम कभी पुकार अबहो तुम्हीं निगाह में हमें ज़रा निहार अब । वक़्त की फुहार है ये रोज़ की ही बात है दिल मचल के कह रहा मुझे तुम्हीं से प्यार अब। खिल उठा गुलाब है चमन में रौनकें सजी हर गली महक रहा कि चढ़ रहा खुमार अब। अजीब … Read more

माधुरी मंजरी- हिंदी काव्य

सेवा पर कविता सेवा वंचित मत रहो,तन मन दीजे झोकसेवा मे सुख पाइए,नहीं लगाओ रोक ।।1।। जो सेवा संपन्न है ,देव अंश तू जान ।इनके दर्शन मात्र से ,मिलते कई निदान ।।2।। सेवा का व्यापार कर ,बनते आज अमीर ।पीड़ित जन सब मूक हैंसाहब तुम बेपीर ।।3।। सेवा कुर्बानी चहैकरे अहं का नाश ।सो अपनाये … Read more

माधुरी डड़सेना के हाइकु

हाइकु

माधुरी डड़सेना के हाइकु 1मौसमी ज्वर-फंदे में झूल रहेप्रेमी युगल 2जलतरंग-सर्प के मुख आतीटर्र ध्वनि 3तांडव नृत्य-घर में तैर रहेसारा सामान 4फटा बादल-घर मे दुबका हैमगरमच्छ 5व्यस्त सड़के-बैठे हैं सड़क मेंभैसों का झुंड 6उत्तराषाढा-अरबी में चमकेपानी की बूंदे 7 पहली वर्षा-नाग जोड़े करतेप्रणय लीला 8 मावस रात-बूढ़ी गाय झेलतीमक्खियाँ दँश 9 गुड्डी का फोटो-चौराहे में … Read more