धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण
धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण धन्य वही धन जो करे, आत्म-जगत् कल्याण।करे कामना धर्म की,मिले मधुर निर्वाण। संग्रह केवल वस्तु का,विग्रह से अनुबंध।सुविचारों की संपदा,से संभव संबंध।। धन-दौलत के साथ ही,बढ़ता क्यों अपराध।कठिन दंड भी शांति को,कहाँ सका है साध।। शिक्षा,जब माना गया,केवल भौतिक ज्ञान।मानव-मूल्यों के बिना,दुखद भ्राँत उत्थान।। निधन हुआ धन से … Read more