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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सुन्दर लाल डडसेना ‘मधुर’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

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जलियांवाला बाग की याद में कविता

जलियांवाला बाग की याद में कविता जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को सलाम।अमर कुर्बानी का पावन अमृतसर शुभ धाम।।तड़ातड़ चली थी निहत्थों पर अनगिनत गोलियां।कसूर था बस बोल रहे थे इंकलाब की बोलियाँ।।जनरल डायर की बर्बरता की चली थी अंधाधुंध…

मन का तामस पर कविता

मन का तामस पर कविता हो तमस का घोर अंधेरा,तो तुम यूँ घबराना ना।गर पग डगमगाए तुम्हारे,तो मिलकर साथ निभाना।हाथ उठाकर प्रण करो तुम,मिलकर बोझ उठाना ना।गर अंतरतम में छाए अंधेरा,विश्वास का दीप जलाना ना।गर गली का दीप बुझा हो,अपने…

महामारी पर कविता

महामारी पर कविता कोरोना से जन जीवन हताश है।खिले चेहरे आज क्यों उदास हैं।मन में भरो हमारे माता विश्वास है।विपदा की घड़ी में इंसान क्यों निराश है।माँ दुर्गा भवानी विपदा से हमको संभालो।कैसी है ये मुश्किल इससे हमको निकालो।कर जोड़…

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता दुनिया कितनी सुंदर व प्यारी है।भारत उन सबमें नूतन न्यारी है।दुनिया के इस समय की घटना सुनाते हैं।चलो आज घर में वक्त बिताते हैं।1.सभी तरफ कोहराम मचा है।जान बचाना हो गया भारी।मनुष्य चाँद पर जा पहुंचा।पर एक…

जल पर कविता

जल पर कविता जल जीवन का सार है।जल जीने का आधार है।जल प्यासे की पुकार है।जल जीवन का करतार है।जल है तो कल है।जल बिना जीवन विकल है।बूँद बूँद का संचय कर मधुर।तब ही होगा तेरा जीवन सफल है।जल ही…

विश्व कविता दिवस – सुन्दर लाल डडसेना

विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च[1] को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999[2] में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने…

प्रेम का सागर है माँ – सुन्दर लाल डडसेना मधुर

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। प्रेम का सागर है…

गुरू ने ज्ञान का दीप जलाया -सुन्दर लाल डडसेना मधुर

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे…