Tag #विनोद सिल्ला

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

खुशबु-विनोद सिल्ला

खुशबु फूलों मेंहोती है खुशबुनहीं होती फूलों में हीहोती हैकुछ व्यक्तियों केव्यवहार में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों केकिरदार में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों केस्वभाव में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों कीप्रवृत्ति में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों कीवाणी में भीलेकिनउपरोक्त खुशबु के स्वामीसभी नहीं होते -विनोद…

नास्तिक पर कविता

नास्तिक पर कविता नास्तिक हीपैदा हुआ था मैंबाकी भीहोते हैं पैदा नास्तिक हीमानव मूल रूप मेंहोता है नास्तिक नाना प्रकार केप्रपंच करके उसेबनाया जाता है आस्तिककितना आसान है आस्तिक होनाबिना जाने मानना हैबिना तर्क किए मानना हैकिसी को नकारने के…

आनंद पर कविता

आनंद पर कविता मुझे है पूरा विश्वासनहीं है असली आनंदमठों-आश्रमों वअन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारीलालायित हैंलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभा मेंजाने को मुझे है पूरा विश्वासअसली आनंदलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभामें ही है इसलिए हीयोगी, साध्वी वअन्य मठाधीश हैं टिकटार्थी संसद और…

इंसान पर कविता

इंसान पर कविता आदिकाल में मानवनहीं था क्लीन-शेवडनहीं करता था कंघीलगता होगा जटाओं मेंभयावह-असभ्यलेकिन वह थाकहीं अधिक सभ्यआज के क्लीन-शेवडफ्रैंचकट या कंघी किएइंसानों से नहीं था वहव्याभिचार में संलिप्तनहीं था वह भ्रष्टाचारीनहीं करता था कालाबाजारीमुक्त था जाति-धर्म सेमुक्त था गोत्र-विवादों…

ख्याल पर कविता

ख्याल पर कविता पहली रोटीगाय को दीअंतिम रोटी कुत्ते कोकिड़नाल कोसतनजा भी डाल आयामछलियों कोआटा भी खिलायाश्राद्ध में कौवों को भीभौज करायानाग पंचमी परनाग को भीदूध पिलायाभुखमरी के शिकारवंचितों काख्याल न आयानिवाले केअभाव में जिन्होंनेजीवन गंवाया –विनोद सिल्ला© Post Views:…

जाति पर कविता

जाति पर कविता जातिजाती ही नहींबहुत हैं गहरीइसकी जड़ेंजिसे नितसींचा जाता हैउन लोगों द्वाराजिनकी कुर्सी कोमिलता है स्थायित्वजाति सेजिनका चलता है व्यवसायजाति सेजिन्हें मिला है ऊंचा रुतबाजाति सेजिन्हें परजीवी बनायाजाति नेवे चाहते हैंउनकी बनी रहे सदैवजाति आधारित श्रेष्ठताभले ही इससेकिसी…

परिश्रम पर कविता

परिश्रम पर कविता वो मेहनतकशकरता रहा कड़ा परिश्रमफिर भी रहा अभावग्रस्तउसके श्रमफल परकरते रहे अय्याशीपूंजीपतिधर्म के नाम परकरते रहे शोषणधर्म के ठेकेदारसमानता के नाम परबटोरते रहे वोटकुटिल सियासतदानमेहनतकश के हालातरहे जस के तसजबकि उसके हक मेंलगते रहे नारेबनते रहे संगठनहोती…

नीम-हकीम खतरा-ए-जान

नीम-हकीम खतरा-ए-जान आए बिल्ली जबबंद कर लेते हैं आँखेंसभी कबूतरताकि टल जाए संकटआँखें बंद नहींलाइट बंद करने केआदेश हैं साहब केलेकिन साहबहम कबूतर नहींऔर वो भी बिल्ली नहीं नीम-हकीम खतरा-ए-जानपुख्ता इंतजाम कीजिएइसे गंभीरता से लीजिएटौने-टोटके हमबाद में कर लेंगेफिलहाल तोकोई…