चिरनिन्द्रा-विनोद सिल्ला

चिरनिन्द्रा जीत कर चुनाव हमारे राजनेतासो जाते हैं चिरनिंद्रा मेंचार वर्ष बाद चुनावी वर्ष में हीखुलती है इनकी जाग जागते हीलग जाते हैं फिर सेसाम-दाम-दण्ड-भेद आजमाने में छल-बल करकेजीत जाते हैं पुन: चुनाव उठाते हैं फायदाआम जनमानस कीचिरनिन्द्रा का जाने यह चिरनिन्द्राकब खुलेगी ? -विनोद सिल्ला

परवाह करने वाले – विनोद सिल्ला

परवाह करने वाले होते हैं कम हीपरवाह करने वालेहोता है हर एक इस्तेमाल करने वाला वास्तव मेंपरवाह करने वालेइस्तेमाल नहीं करतेवहीं इस्तेमाल करने वालेपरवाह नहीं करते पहचानिएकौन हैं परवाह करने वालेकौन हैं इस्तेमाल करने वाले होते हैं विरले हीपरवाह करने वालेउनकी परवाह अवश्य करें । -विनोद सिल्ला

विनोद सिल्ला की कविता

भाईचारा पर कविता मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारानिभाने सेमना कर दिया थी उनकी मनसामैं उनकोभाई बनाऊंवे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला मेरा कुसूर मैं था कठघरे मेंदागे सवालउठाई उंगलीलगाए आक्षेपनिकाली गलतियाँनिकम्मों ने मेरा कुसूर था किमैंने काम किया । -विनोद सिल्ला

रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला

रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला रोटी तू भी गजब है, कर दे काला चाम।देश छोड़ के हैं गए, छूटे आँगन धाम।। रोटी तूने कर दिए, घर से बेघर लोग।रोटी ही ईलाज है, रोटी ही है रोग।। रोटी तेरे ही लिए, बेलें पापड़ रोज।मोहताज तेरे सभी , तेरी ही नित खोज।। रोटी सबसे है बड़ी, इससे … Read more

शीतल छाया दे रहे – विनोद सिल्ला

शीतल छाया दे रहे शीतल छाया दे रहे, परउपकारी पेड़। हरे पेड़ को काट कर, कुदरत को ना छेड़।। पेड़ दे रहे औषधी, ले के रहो निरोग।पेड़ लगाने चाहिए, काट रहे हैं लोग।। पालन पोषण कर रहे, देकर के फल फूल। पेड़ लगा उपकार कर, पींग डाल कर झूल।। पेड़ सलामत जब तलक, सोओ लंबी … Read more