शारदे माँ पर कविता

शारदे माँ पर कविता (1)हे शारदे माँ ज्ञान के,भंडार झोली डार दे।आये हवौं मँय द्वार मा,मन ज्योति भर अउ प्यार दे।।हे हंस के तँय वाहिनी,अउ ज्ञान के तँय दायिनी।हो देश मा सुख शांति हा,सुर छोड़ वीणा वादिनी।। (2)आ फूँक दे स्वर तान ला,जग में सदा गुनगान हो।हे मातु देवी शारदे,माँ मान अउ सम्मान हो।।मँय मूढ़ … Read more

बसन्त ऋतु पर गीत

बसन्त ऋतु पर गीत लगे सुहाना मौसम कितना,मन तो है मतवाला।देख बसन्त खिले कानन में,फूलों की ले माला।। शीतलता अहसास लिए हैं,चलते मन्द पवन हैं।ऋतु बसन्त घर आँगन महके,जलते विरही मन हैं।।पंछी चहके हैं डाली पर,गाते गीत निराला।।लगे सुहाना………………………… ढाँक पलास खिले तरुवर पर,अनुपम छटा बिखेरे।सरिता की पावन जल धारा,कल-कल करती फेरे।।भँवरे गुन-गुन गाते मधुरिम,पी … Read more

साधना पर कविता

साधना पर कविता करूँ इष्ट की साधना,कृपा करें जगदीश।पग पग पर उन्नति मिले,तुझे झुकाऊँ शीश।। योगी करते साधना,ध्यान मगन से लिप्त।बनते ज्ञानी योग से,दूर सभी अभिशिप्त ।। जो मन को हैं साधते,श्रेष्ठ उसे तू जान।दुनिया के भव जाल में,फँसे नहीं वो मान।। करो कठिन तुम साधना,दृढ़ता से धर ध्यान।मन सुंदर पावन बने,संग मिले सम्मान।। मानव … Read more

महँगाई पर दोहे

महँगाई पर दोहे महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।। महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।। महँगाई में हो गया , गीला आटा दाल।पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल।।3।। सुरसा के मुख सी बढ़े,महँगाई की मार।देखो तो चारों तरफ , होता हाहाकार।।4।। महँगी हर … Read more

ऋतुराज बसंत पर दोहे

ऋतुराज बसंत पर दोहे धरती दुल्हन सी सजी,आया है ऋतुराज।पीली सरसों खेत में,हो बसंत आगाज।।1।। कोकिल मीठा गा रही,भांतिभांति के राग।फूट रही नव कोंपलें , हरे भरे हैं बाग।।2।। पीली चादर ओढ़ के, लगती धरा अनूप।प्यारा लगे बसंत में, कुदरत का ये रूप।।3।। हरियाली हर ओर है , लगे आम में बौर।हुआ शीतअवसान है,ऋतु बसंत … Read more