आर आर साहू के दोहे
आर आर साहू के दोहे ईश प्रेम के रूप हैं,ईश सनातन सत्य।अखिल चराचर विश्व ही,उनका लगे अपत्य ।। कवि को कब से सालती,आई है पर पीर।हम निष्ठुर,पाषाण से,फूट पड़ा पर नीर।। क्रूर काल के कृत्य की,क्रीड़ा कठिन कराल।मानव का उच्छ्वास है,या फुँफकारे व्याल।। लेश मात्र करुणा कभी,जाती छाती चीर।अब वो छाती मर गई,मत रो दास … Read more