अभाव-गुरु

अभाव-गुरु “उस वस्तु का नहीं होना” मैं,जरूरत सभी जन को जिसकी।प्रेरक वरदान विधाता का,सीढ़ी मैं सहज सफलता की।।1अभिशाप नहीं मैं सुन मानव,तेरी हत सोंच गिराती है।बस सोंच फ़तह करना हिमगिरि,यह सोंच सदैव जिताती है।।2वरदान और अभिशाप मुझेतेरे ही कर्म बनाते हैं।असफल हताश,औ’ कर्मविमुखमिथ्या आरोप लगाते हैं।।3तीनों लोकों में सभी जगह,मैंने ही पंख पसारे हैं।सब जूझ … Read more

सीमा पर है जो खड़ा

सीमा पर है जो खड़ा                           सीमा पर है जो खड़ा ,                          अपना सीना तान ।उसके ही परित्याग से ,                         रक्षित  हिंदुस्तान ।।रक्षित    हिंदुस्तान ,                   याद कर सब कुरबानी ।करे शीश का दान ,                    हिंद का अद्भुत दानी ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,                    कहें सब अर्जुन भीमा ।पराक्रमी शूर  शौर्य ,                नहीं जिसकी बल सीमा … Read more

कर्म देवता

इस कविता के प्रत्येक चरण में 16 मात्रा वाले छंद का प्रयोग किया गया है:- मानव जीवन ईश्वर का रहस्यमय वरदान है।आज के मानव का एकमात्र उद्देश्य अति धन-संग्रह है,जिसके लिए वे अपनों का भी खून बहाने से नहीं हिचकते।वे भूल गए हैं कि जीवन क्षणिक है।मृत्यु पश्चात बेईमानी से संचित उस धन से,रिस्ते-नातों से … Read more

कहें सच अभी वो जमाना नहीं है

कहें सच अभी वो जमाना नहीं है कहें सच अभी वो जमाना नहीं है।यहाँ सच किसी को पचाना नहीं है॥मिले जो अगर यूँ किसी को अँगाकर। खिला दो उसे तो पकाना नहीं है॥लगे लूटने सब निठल्ले यहाँ पर।उन्हें तो कमाना धमाना नहीं है॥मुसीबत अगर आ गई तो फँसोगे। यहाँ बच सको वो बहाना नहीं है॥पसीना बहाया यहाँ … Read more

करना हो तो काम बहुत हैं

करना हो तो काम बहुत हैं नेकी के तो धाम बहुत हैंकरना हो तो काम बहुत हैं।सोच समझ रखे जो बेहतरउनके अपने नाम बहुत हैं।प्रेम रंग गहरा होता हैरंगों के आयाम बहुत हैं।गुण सम्पन्न बहुत होते हैंवैसे तो बदनाम बहुत हैं।इश्क़ खुदा से सीधी बातेंमन हल्का आराम बहुत है।लक्ष्य एक पर पंथ अलग हैंसभी में … Read more