मेरी कविता मां काली है

मेरी कविता मां काली है मेरी कविता में करुण नही,क्रंदन कर अश्क बहायेगी ।श्रृंगार नहीं है कविता में ,जो गीत प्रेम के गायेगी ।सैनिक के साथ चला करती,यह भारत की रखवाली है ।शत्रु का शोणित पान करे ,मेरी कविता मां काली है ।प्रलय कर दे शत्रु दल में,वैरी को त्रास भयंकर है।जनहित को जो विषपान … Read more

वक्त ने सितम क्या ढाया है

वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक जीने कोराजनीति में द्रोपदी गुनाहगार हो गयी।त्याग,सेवा ,फर्ज दायित्व ही तो निभायेदेखो तो फिर भी … Read more

माँ सी हो गई हूँ

mother their kids

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ सी हो गई हूँ जब भी चादर बदलतीमाँ पर झल्ला पड़ती    ये क्या है माँ?सारा सामान तकिए के … Read more

सड़क पर कविता

सड़क पर कविता अजगर के जीभ सी ये सड़कसड़क नहीं है साहब….चीरघर है।हर दस मिनट में यहाँहोती हैं हलाल…इन द्रुतगामी वाहनों से।रोज होते सड़क हादसों सेलीजिए सबकजरा सावधानी सेकीजिए सफरक्या तुम्हें नहीं हैजिन्दगी से प्यारनहीं ,तो उनके बारे में सोचिएजो मानते हैं आपको संसार।जरा संभलकर चलिए हुजूरसड़कों पर गाड़ियाँ नहींयमराज गस्त लगाते हैंयहाँ रिपोर्ट दर्ज … Read more

नाराज़- डॉ० ऋचा शर्मा

नाराज़- डॉ० ऋचा शर्मा माँ बेटे से अक्सर रहती है नाराज़नहीं करता बेटा कोई भी काजयही समझाना चाहती है माँजीवन का गहरा राज़बस इसीलिए रहती है बेचारी नाराज़बेटे को पहनाना चाहती हैकामयाबी का ताज़समाज को मुँह दिखा पाऊँरख ले बेटा इतनी लाजमैं हार चुकी, थक चुकी हूँसुन ले एक बात मेरी आजसबकी तरह कर पाऊँमैं … Read more