मेरी कविता मां काली है
मेरी कविता मां काली है मेरी कविता में करुण नही,क्रंदन कर अश्क बहायेगी ।श्रृंगार नहीं है कविता में ,जो गीत प्रेम के गायेगी ।सैनिक के साथ चला करती,यह भारत की रखवाली है ।शत्रु का शोणित पान करे ,मेरी कविता मां काली है ।प्रलय कर दे शत्रु दल में,वैरी को त्रास भयंकर है।जनहित को जो विषपान … Read more