मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें

मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें,नेकियाँ थोड़ी अपने नाम करें।कुछ सलीका दिखा मिलें पहले,बात लोगों से फिर तमाम करें।सर पे औलाद को न इतना चढ़ा,खाना पीना तलक हराम करें।दिल में सच्ची रखें मुहब्बत जो,महफिलों में न इश्क़ आम करें।वक़्त फिर लौट के न आये कभी,चाहे जितना भी ताम झाम … Read more

अब क्या होत है पछताने से

अब क्या होत है पछताने से तनको मलमल धोया रे और मनका मैल न धोयाअब क्या होत है पछताने से वृथा जनम को खोया रेभक्ति पनका करे दिखावा तूने रंगा चदरिया ओढ़करछल कपट की काली कमाई संग ले जाएगा क्या ढोकरवही तू काटेगा रे बंदे तूने है जो बोया रेतनको मलमल धोया रे… सत्य वचन … Read more

जग में तू आया मानव

जग में तू आया मानव इस जग में तू आया मानव,कर्म सुनहरा करने को।फिर क्यों बैठा सड़क किनारे,लिए कटोरा हाथों में।कंचन जैसे यह सुन्दर कायाव्यर्थ में कैसे झोंक दिया।आलस्य लबादा ओढ़के तूने,स्वाभिमान को बेच दिया।सक्षम  होकर  लाज  न आयी,बिना कर्म कुछ पाने में।बिना हाथ का बेबस मानव,देखो कर्म को आतुर है।बोझा ढोकर बहा पसीना,खूब परिश्रम … Read more

लोकतंत्र की हत्या

लोकतंत्र की हत्या आज भी सजा था मंचसामने थे बैठेअसंख्य श्रद्धालुगूंज रही थींमधुर स्वर लहरियाँभजनों कीआज के सतसंग मेंआया हुआ थाएक बड़ा नेताप्रबंधक लगे थेतौल-मौल मेंप्रवचन थे वही पुरानेकहा गया ‘हम हैं संत’संतों ने क्या लेनाराजनीति सेसमस्त श्रद्धालुओं नेकिया एक तरफा मतदानतब उस मठाधीश कोकितने मामलों मेंमिला जीवनदानभले ही हो गईलोकतंत्र की हत्या-विनोद सिल्ला©कविता बहार … Read more

वृध्दों पर दोहे- सुधा शर्मा

वृध्दों पर दोहे बूढ़ा बरगद रो रहा, सूख गये सब पात।अपनों ने ही मार दी,तन पर देखो लात।। दिया उमर भर आज तक,घनी सभी को छाँह।भूल गये सब कृतज्ञता,काट रहे हैं बाँह।। ढूंढ रहा है देख लो,बेबस अपनी छाँव।आया कैसा हैसमय,बीच धार है नाव।। मात पिता सम वट समझ ,रखो सदा ही ध्यान ।शक्ति पुंज … Read more