बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान
बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान १.बेटी होती लाड़ली,जैसे पुष्पित बाग।बिन बेटी के घर लगे, रंग चंग बिन फाग।। २.बेटी लक्ष्मी गेह की,अब तो नर लो मान।सेवा कर माँ बाप की,बनती कुल की शान।। ३.साक्षर होगी बेटियाँ,उन्नत होगा देशभर संस्कार समाज में,बदलेंगी परिवेश।। ४.बहु भी बेटी होत है,रखो न दूजा भावनिज बेटी सा मान दो,लाओ जी … Read more