बस तेरा ही नाम पिता

बस तेरा ही नाम पिता        उपर से गरम अंदर से नरम,ये वातानुकूलित इंसान है!पिता जिसे कहते है मित्रो,वह परिवार की शान है!! अच्छी,बुरी सभी बातो का,वो आभास कराते है!हार कभी ना मानो तुम तो,हर पल हमै बताते है!! वो नही है केवल पिता हमारे,अच्छे,सच्चे मित्र भी है!परिवार गुलशन महकाए,ऎसा ब्रंडेड ईत्र भी … Read more

डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे

डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे पाई पाई जोड़ के बना खूब धनवान । संस्कार नहीं जानता कैसा तू नादान ।। करता लूट खसोट है वा रे वा इन्सान । लालच में है घूमता बिगड़ गई सन्तान ।। क्यों तू लालच कर रहा करता फिरता पाप । सोने सा अनमोल तन बना रहा अभिशाप ।। … Read more

सामाजिक बदलाव पर छत्तीसगढ़ी कविता

सामाजिक बदलाव पर छत्तीसगढ़ी कविता

सामाजिक बदलाव पर छत्तीसगढ़ी कविता करलई होगे संगी ,करलई होगे गा।छानी होगे ढलई ,करलई होगे गा ।।पहिली के माटी घर ,मोला एसी लागे।करसी के पानी म ,मोर पियास भागे।मंझन पहा दन, ताश अऊ कसाड़ी म।टेढ़ा फंसे रे ,   हमर बिरथा-बाड़ी म।ए जमाना बदलई ,  करलई होगे गा ।करलई होगे संगी ,   करलई होगे गा ॥ … Read more

17 मई विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर एक कविता

विश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया। इस दिन का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट और नई प्रौद्योगिकियों द्वारा लाया गया सामाजिक परिवर्तनों की … Read more

मानव समानता पर कविता

मानव समानता पर कविता हम मानव मानव एक समान।हम सब मानव की संतान ।धर्म-कर्म भाषा भूषा से ,हमको ना किञ्चित् अभिमान ।हिंदू की जैसे वेद पुराण ।बस वैसे ही बाइबल और कुरान ।सब में छुपी हुई है एक ही ज्ञान।सभी बनाती है मनुष्य को महान।छोड़ दो करना लहूलुहान ।मानवता धर्म की कर पहचान ।धर्म जाति … Read more