मिट्टी की घट पर कविता की महिमा बताती सुकमोती चौहान रुचि की छप्पय छंद में यह अनूठा काव्य

मिट्टी की घट पर कविता मिट्टी घट की ओर ,चलो अब लौटे हम सब।प्लास्टिक का प्रतिबंध,मनुज स्वीकारोगे कब।मृदा प्रदूषण रोक,पीजिए घट का पानी।स्वस्थ रहेगा गात, स्वच्छता बने निशानी।घड़ा सुराही की शुद्धता, मान रहा विज्ञान भी।लाइलाज रोगों की दवा,मिट्टी यह वरदान भी। ✍ सुकमोती चौहान रुचिबिछिया,महासमुन्द,छ.ग.

गीता द्विवेदी की शानदार कविता

गीता द्विवेदी की शानदार कविता अलाव कभी-कभी जिंदगीअलाव जैसी धधकती हैउसमें हाथ सेंकते हैंअपने भी पराए भीबुझने से बचाने कीसबकी कोशिश रहती है,डालते रहते हैं,लकड़़ियाँ पारी-पारी,कितना अजीब है ना!न आग न धुआँपर जिंदगी तो जलती है,सभी को पता है।क्योंकि कभी न कभी,सभी को इसका अनुभव हुआ है।कोई राख हो जाता है,कोई कुन्दन,और तब…..हाथ सेंकने वाले,दूर … Read more

चुनाव में होगा दंगल-दूजराम साहू

चुनाव में होगा दंगल अब होगा दंगल,गाँव-गाँव, गली-गली !!बजेगा बिगुल चुनाव की,गाँव- गाँव, गली-गली !! लोकतंत्र की महापर्व में,काफिले खूब चलेंगे!न दिखेगा अबीर का रंग,चुनावी रंग चढ़ेंगे !!लुभावने, छलावे की,मंत्रोच्चार होगी गली-गली ! पांव पकड़ेंगे दीन का भीयाचक बन वोट मांगेंगे !लंबी-चौड़ी अस्वासन होगीवादे खूब गिनायेंगे !!सच्चाई नहीं सुई नोंक बराबरपरख लेना भली -भली ! … Read more

बारी के पताल-महेन्द्र देवांगन माटी

बारी के पताल वाह रे हमर बारी के पताल ।ते दिखथस सुघ्घर लाल लाल ।। गरीब अमीर दुनो तोला भाथे ।झोला मे भर भरके तोला लाथे ।। तोर बिना कुछु साग ह नइ मिठाये ।सलाद बनाके तोला भात मे खाये ।। धनिया मिरची मिलाके चटनी बनाथे।रोटी अऊ बासी मे चाट चाट के खाथे।। वाह रे … Read more

शरदपूर्णिमा पर कविता-  डा. नीलम

शरदपूर्णिमा पर कविता ओढ़ के चादर कोहरे कीसूरज घर से निकला थाकर फैला कर थोड़ी धूपदेने की, दिन भर कोशिश करता रहा सांझ ने जब दामन फैलायानिराश होकर सूरज फिर लौट गयाकोशिश फिर चाँद-सितारों ने भी की थीपर कोहरे की चादर वैसी ही बिछी रही कोहरे की चादर ,पर ..बहुत गाड़ी थीहवाओं ने भी तीखी … Read more