कहां पर खो गया हिंदुस्तान?- शिवराज सिंह चौहान

कहां पर खो गया हिंदुस्तान? खुदा खौफ खाए बैठे,भयभीत भये भगवान।ये कैसा हो गया हिंदुस्तान,कहां पे खो गया हिंदुस्तान।। कोख में बैठी बेटी भी,ये सोच सोच घबराए।जन्म से लेकर मरण तलक,सब नोच नोच कर खाएं।।चिंताओं से घिरी हुई,वो ढूंढ रही मुस्कान…..ये कैसा…..? लोलुप लंपट लवर लफंगे,वहसी व्याभिचारी।खुल्ले आम घूमते फिरते,जुल्मी अत्याचारी।।गली गली हर चौराहे पर,खड़े … Read more

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ- कन्हैया साहू ‘अमित’

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ। ********************************कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।**दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।**इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।**उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।**कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।**शब्द चयन है सार, शिल्प अनुपम कुंडलिया।* *रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।**रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।**ग्यारह तेरह बंद, अंत में … Read more

बलात्कार पर कविता

बलात्कार पर कविता हो रहे इन बलात्कारों का सबसे बड़ा जिम्मेदार।फिल्म, सीरियल मीडिया और विज्ञापन बाजार। अर्धनग्न तस्वीरों को मीडिया और इंटरनेट परोसता है।बालमन छुप-छुपकर इसमें ही अपना सुख खोजता है। फिल्मी गानें और नाच बच्चों को उकसाते हैं।विज्ञापन में नारी देह ही बार-बार दिखाते हैं। कमतर कपड़ों में दिखाते अश्लील आईटम डाँस।नैतिकता को छोड़ … Read more

अपराधी इंसान पर कविता- R R Sahu

अपराधी इंसान पर कविता सभी चाहते प्यार हैं,राह मगर हैं भिन्न।एक झपटकर,दूसरा तप करके अविछिन्न।। आशय चाल-चरित्र का,हमने माना रूढ़।इसीलिए हम हो गए,किं कर्तव्य विमूढ़।। स्वाभाविक गुण-दोष से,बना हुआ इंसान।वही आग दीपक कहीं,फूँके कहीं मकान।। जन्मजात होता नहीं,अपराधी इंसान।हालातों से देवता या बनता हैवान।। भय से ही संभव नहीं,हम कर सकें सुधार।होता है धिक्कार से,अधिक … Read more

तुम धरा की धुरी -एल आर सेजु थोब ‘प्रिंस’

तुम धरा की धुरी नारी तुम धरा की धुरीतुम बिन सृष्टि अधूरीमूरत तुम नेह स्नेह, वात्सल्यतुम ममतामयी, तुम करुणानिधि । माँ, बहन, बेटी और पत्नीतुम हर रूप की अवतारीचली हर कदम पुरुष के साथबन जीवन रथ की धुरी । त्याग व प्रेम की सूरत सीतुम मूरत हो प्यारीतुम से शुरू तुम पर ही खत्मतुम हो … Read more