कोविड 19 हिंदी कविता
अप्रैल 2021 से जिस प्रकार से घटनाक्रम ने तीव्रता पकड़ी, मनुष्य पर आया संकट गहरा हो गया। उसी सन्दर्भ में यह रचना एक छोटा सा प्रयास है। आशा करता हूँ ये सभी को अच्छी लगेगी।
अप्रैल 2021 से जिस प्रकार से घटनाक्रम ने तीव्रता पकड़ी, मनुष्य पर आया संकट गहरा हो गया। उसी सन्दर्भ में यह रचना एक छोटा सा प्रयास है। आशा करता हूँ ये सभी को अच्छी लगेगी।
इस व्यंग्य को केवल व्यंग्य की दृष्टि से ही पढ़े यह केवल मनोरंजन के लिए है | जो भी सन्दर्भ इसमें दिए गए हैं वे केवल कल्पना मात्र हैं जिसका सच से कोई सम्बन्ध नहीं है |
कुछ ले दे के साब ( व्यंग्य ) – अन्य लेख – व्यंग्य – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
मेरी की कविता में एक गरीब परिवार की दशा का चित्रांकन किया गया है
हाय यह क्या हो गया? हाय यह क्या हो गया?महाभारत हो गया ।हुआ कैसे?एकमात्र दुर्योधन से!किसका बेटा ?अंधे धृतराष्ट्र का!पट्टी लगाई आंखों मेंपतिव्रता गांधारी का।शायद कम गई दृष्टि इनकी,उद्दंडता जो दुर्योधन ने की । असल कसूरवार कौन?जिसने दुर्योधन को गढ़ा।जीवन के महत्वपूर्ण घड़ियों में ,जो सारे बुरे सबक को पढ़ा ।दोषी वे सारे व्यवस्था हैं … Read more
कोविड से त्रस्त भू चित्रण