स्वदेश पर कविता – गोपाल सिंह नेपाली

स्वदेशी का अर्थ है- ‘अपने देश का’ अथवा ‘अपने देश में निर्मित’। ओ स्वदेश की जवानियो, चलो उठो-उठो इतिहास की निशानियों, चलो उठो-उठोओ खून की खामियो, चलो उठो-उठोहम जन्म लें स्वतंत्र ही, स्वतंत्र ही मरें,तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो अधिकार लो, सदा न भीख माँगते रहोसंग्राम से जनम-जनम न भागते रहो।छाई घटा, चली हिलोर, … Read more

काँटों पर चलना सीखे – मनीभाई नवरतन

अब काँटों पर चलना सीखें अब तक सुमनों पर चलते थे, अब काँटों पर चलना सीखें॥खड़ा हुआ है अटल हिमालय, दृढ़ता का नित पाठ पढ़ाता।। बहो निरन्तर ध्येय-सिन्धु तक, सरिता का जल-कण बतलाता।अपने दृढ़ निश्चय से पथ की, बाधाओं को ढहना सीखें। अब…… हममें चपला-सी चंचलता, हममें मेघों की गर्जन।हममें पूर्ण चन्द्रमा-चुम्बी, सिन्धु-तरंगों का नर्तन … Read more

प्रेरणा दायक कविता – हम स्वदेश के सपूत

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कविता बहार के प्रेरणा दायक कविता में से एक कविता – हम स्वदेश के सपूत हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चले। हाथ में अंगार, है हर चरण पहाड़ है।हम बढ़े जिधर उधर आँधियाँ ही बढ़ चलें।हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चलें। मातृभूमि तू न डर, धीर धर विश्वास धर।शत्रु शीश बीनती … Read more

दूर संचार करेगा विकास का योग -अशोक शर्मा

इसे सुनेंविश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया। दूरसंचार पर कविता समय पुराने अतीत काल में,दूर दराज के हाल चाल में,चिट्ठी आती खुशियां लाती,बहुत … Read more

देखें कौन सुमन शैया तज कंटक पथ अपनाता है?

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देखें कौन सुमन शैया तज, कंटक पथ अपनाता है? देश-प्रेम का मूल्य प्राण है, देखें कौन चुकाता है?देखें कौन सुमन शैया तज, कंटक पथ अपनाता है? सकल मोह ममता को तजकर, माता जिसको प्यारी हो।दुश्मन की छाती छेदन को, जिसकी तेज़ कटारी हो।मातृभूमि के लिए राज्य तज, जो बन चुका भिखारी हो।अपने तन,मन,धन-जीवन का स्वयं … Read more