स्वर्ण की सीढ़ी चढी है – बाबू लाल शर्मा
स्वर्ण की सीढ़ी चढी है – बाबू लाल शर्मा चाँदनी उतरी सुनहलीदेख वसुधा जगमगाई।ताकते सपने सितारेअप्सरा मन में लजाई।। शंख फूँका यौवनों मेंमीत ढूँढे कोकिलाएँसागरों में डूबने हितसरित बहती गीत गाएँ पोखरों में ज्वार आयाझील बापी कसमसाई।चाँदनी……………….।। हार कवि ने मान ली हैलेखनी थक दूर छिटकीभूल ता अम्बर धड़कनाआँधियों की श्वाँस अटकी आँख लड़ती पुतलियों … Read more