अपने लिये जीना (अदम्य चाह)-शैली
“अदम्य चाह”, शीर्षक की कविता, एक मध्यमवर्ग की भारतीय स्त्री की दिली हसरत है। बेटी जन्म से बंधनों में रहती है, परिवार, समाज के सैकड़ों पहरे और प्रश्न झेलती है, शादी के बाद तो पहरे और भी बढ़ जाते हैं। मेरा स्वयं का मन एक स्वच्छंद जीवन के लिए तरसता है, मुझे लगता है कि मैने स्त्री मात्र की हार्दिक इच्छा को शब्द दिये हैं.