अपने लिये जीना (अदम्य चाह)-शैली

“अदम्य चाह”, शीर्षक की कविता, एक मध्यमवर्ग की भारतीय स्त्री की दिली हसरत है। बेटी जन्म से बंधनों में रहती है, परिवार, समाज के सैकड़ों पहरे और प्रश्न झेलती है, शादी के बाद तो पहरे और भी बढ़ जाते हैं। मेरा स्वयं का मन एक स्वच्छंद जीवन के लिए तरसता है, मुझे लगता है कि मैने स्त्री मात्र की हार्दिक इच्छा को शब्द दिये हैं.

प्रकृति बड़ी महान/यदि मैं प्रकृति होती

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प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक प्रकृति है जो कि प्रकृति विषय वस्तु को आधार मानकर रची गई है। यह स्वरचित कविता है। दो कविताएं हैं। पहली में प्रकृति का महत्व बताया गया है और दूसरी में खुद प्रकृति बनकर प्रकृति से पूरी होने वाली जरूरत का अहसास दिलाने की कोशिश की गई है।