Month January 2023

हमर छेरछेरा तिहार पर कविता

गीत – हमर छेरछेरा तिहार ============================= सुख के सुरुज अंजोर करे हे,हम सबझन के डेरा म। हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।। //1// आज जम्मो झन बड़े बिहनिया, ले छेरछेरा कुटत हे। कोनलईका अउ कोन सियनहा,कोनो भी नई छूटत…

सादगी पर सायरी

सादगी पर सायरी सादगी की सुरत सुहानी बनावट की बातों का काम नहीं है। सादगी की खुबसूरत जवानी बेतहासा सजावट का काम नहीं है। सादगी की जरूरत जिसने जानी अधिक जरूरत का कोई काम नहीं है। सादगी की है सफल…

मन पर कविता

मन पर कविता मन सरिता बहाती कलकल स्वछन्द वेग से तेरी स्मृतियों का जल। मन सरिता की गहराई अथाह तेरी स्मृतियों का ही रखरखाव। मन सरिता की लहरें अशांत कभी न चाहे तेरी स्मृतियों का अंत। मन सरिता का जहाँ…

लातन को जो भूत हियन पै – उपेन्द्र सक्सेना

लातन को जो भूत हियन पै पर कविता जिसके मन मै ऐंठ भरै बौ, अपने आगे किसकौ गिनिहैलातन को जो भूत हियन पै,बातन से बौ नाहीं मनिहै। अंधो बाँटै आज रिबड़ियाँ, अपनिन -अपनिन कौ बौ देबैनंगे- भूखे लाचारन की, नइया…

नवनिर्माण पर कविता – विनोद सिल्ला

नवनिर्माण पर कविता पत्थरों और ईंटों मेंहुआ मुकाबलामची होड़एक-दूसरे कोमुंहतोड़ जवाब देने की पत्थर से ईंटईंट से पत्थर खूब टकराएटूटी ईंटेंक्षतिग्रस्त हुए पत्थर हो जाता मुकाबलादोनों मेंकौन करेगासुंदर नवनिर्माण तब मुकाबले के साथ-साथ हो जाती राह प्रशस्त नवनिर्माण की बन…

चोर- चोर मौसेरे भइया – उपमेंद्र सक्सेना

चोर- चोर मौसेरे भइया अंधिन के आगे जो रोबैं,बे अपने नैनन कौ खोबैंचोर -चोर मौसेरे भइया,बे काहू के सगे न होबैं। कच्ची टूटै आज गाँव मै,ठर्रा केते पियैं लफंगापुलिस संग मैं उनके डोलै, उनसे कौन लेयगो पंगारोज नदी मै खनन…

नए साल की बधाई – अकिल खान

————– नए साल की बधाई – – – – – – – – – – अतीत के साए में,बीते पल गुजर गए,संघर्ष के मैदान में,परिश्रमी संवर गए।2022 में मेहनतकशों को मंजिल मिल गया,मुरझाए हुए,तन्हा,चेहरों में हंसी खिल गया।प्रकृति ने भी…

शबरी का बेर

कविता -शबरी के बेर शबरी का वह बेर नही था सच्ची भक्ती प्रेम वही था ना छुआछूत ना जाति पात भाव भक्ति अनमोल वही था शबरी का संदेश यही था, शबरी का वह बेर नही था। बेरों सा अच्छाई चुन…

नई भोर हुई – सुशी सक्सेना

. नई भोर हुई – सुशी सक्सेना नई भोर हुई, नई किरन जगी।भूमि ईश्वर की, नई सृजन लगी। नई धूप खिली, नई आस पली,ओढ़ के सुनहरी चुनरी प्रकृति हंसी,नया नया सा आकाश है, नये नज़ारे,नववर्ष में कह दो साहिब, हम…

कोरोना पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

कोरोना पर कविता कोरोना फिरि फैलि रहो है, बाने देखौ केते मारेकाम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे। मुँह पै कपड़ा नाय लगाबैं, केते होंय रोड पै ठाड़ेबखरिन मै मन नाय लगत है, घरि से निकरे काम…