चोर- चोर मौसेरे भइया – उपमेंद्र सक्सेना

चोर- चोर मौसेरे भइया अंधिन के आगे जो रोबैं,बे अपने नैनन कौ खोबैंचोर -चोर मौसेरे भइया,बे काहू के सगे न होबैं। कच्ची टूटै आज गाँव मै,ठर्रा केते पियैं लफंगापुलिस संग मैं उनके डोलै, उनसे कौन लेयगो पंगारोज नदी मै खनन होत है, रेता बजरी चोरी जाबैरोकै कौन इसै अब बोलौ,रोकन बारो हिस्सा खाबै खुद फूलन … Read more

नए साल की बधाई – अकिल खान

————– नए साल की बधाई – – – – – – – – – – अतीत के साए में,बीते पल गुजर गए,संघर्ष के मैदान में,परिश्रमी संवर गए।2022 में मेहनतकशों को मंजिल मिल गया,मुरझाए हुए,तन्हा,चेहरों में हंसी खिल गया।प्रकृति ने भी खुशनुमा,माहौल है सजाई,आप सभी लोगों को,नए साल की बधाई। प्रकृति अपनी रीत,हर-पल दोहराती है,यादों के … Read more

शबरी का बेर

कविता -शबरी के बेर शबरी का वह बेर नही था सच्ची भक्ती प्रेम वही था ना छुआछूत ना जाति पात भाव भक्ति अनमोल वही था शबरी का संदेश यही था, शबरी का वह बेर नही था। बेरों सा अच्छाई चुन लो मीठी मीठी सपने बुन लो राह देखती शबरी सा तुम आहट अपने मन में … Read more

नई भोर हुई – सुशी सक्सेना

. नई भोर हुई – सुशी सक्सेना नई भोर हुई, नई किरन जगी।भूमि ईश्वर की, नई सृजन लगी। नई धूप खिली, नई आस पली,ओढ़ के सुनहरी चुनरी प्रकृति हंसी,नया नया सा आकाश है, नये नज़ारे,नववर्ष में कह दो साहिब, हम तुम्हारेसुनकर जिसे, मन में तपन लगी। नववर्ष में है, बस यही मनोकामना,दंश झेले जो हमने … Read more

कोरोना पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

कोरोना पर कविता कोरोना फिरि फैलि रहो है, बाने देखौ केते मारेकाम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे। मुँह पै कपड़ा नाय लगाबैं, केते होंय रोड पै ठाड़ेबखरिन मै मन नाय लगत है, घरि से निकरे काम बिगाड़े जाय किसउ की फसल उखाड़ैं, खेतन कौ बे खूब उजाड़ैंकोऊ उनसे नाय कछु कहै, … Read more