मैं कौन? मनीभाई नवरत्न
“मैं कौन?” मनी, तू पल-पल मरता है, इसीलिए तू कभी पूरी तरह मरता नहीं। पूरी तरह जीता नहीं। हर इच्छा, हर डर, हर उम्मीद — तेरी दीवारों पर नई दरारें छोड़ जाते हैं। तू भोग रहा है — क्योंकि तू दुखी है। तू चाहता है — क्योंकि तू भीतर से सूना है। हर सुख की … Read more