जीत पर कविता

जीत पर कविता

जब तक स्वास है ,
करना अभ्यास है ।
चित से प्रयास करें ,
पूरी हर आस हो।

परिश्रमी सच्चा जो,
सफल रहे सदा वो।
लक्ष्य मन में रखें,
मंजिल ना दूर हो।

बड़ों का आदर जहां ,
सुस्वर्ग होता वहां।
वंदन मन से करो ,
जड़ों से जुड़े रहो ।

शपथ आज लेनी है ,
विटप सम धीर हो ।
कदम ना रुके कभी ,
मनु तभी जीत हो।

©️✍
अरुणा डोगरा शर्मा,
पंजाब।

दिवस आधारित कविता