स्कूल पर कविता

स्कूल पर कविता

चलो ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें।
इस संस्था का सदस्य बन कर
हम स्वयं भी गौरवान्वित करें ।
जहां गुरु शिष्य का नाता
पिता-पुत्र से आंका जाए ।
जहां हरेक बालों में
बहन का रूप झांका जाए ।
पर सगुणों को अपनाकर
स्वदुर्गुणों को विसर्जित करें।
ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें ।
नियमित शाला पहुंचकर
समय का पालन करें ।
सत्य अहिंसा के मार्ग पर
अपना पग परिचालन करें ।
गुरु मार्गदर्शन स्वाध्याय को अपनाकर
भविष्य अपना सुनिश्चित करें ।
ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें
यह दिव्य स्थान, स्वच्छता ,
शिक्षा और मनोरंजन संयुक्त रहे।
दुर्व्यसनों और फुहड़पन
और अपराधों से मुक्त रहे ।
फूल पौधे पर लगाकर
वातावरण को सुसज्जित करें ।
ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें ।
यहां हर कोई विद्यार्थी
अपनी शिक्षा पर गंभीर रहे ।
जीवन के हर संकट पर
शूरवीर और धीर रहे ।
एकता के सूत्र से बंध कर
अपना देश विकसित करें
ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें ।
अब प्रण हमें करना है कि
यह शाला मंदिर से कम नहीं ।
जब तक हम रहे
कोई से नीचा दिखाए वह दम नहीं ।
शाला को संवारने में
मिलजुल कर सबको को प्रेरित करें।
ऐसी शाला का निर्माण करें
जिसका प्रकाश सबको आलोकित करें ।

मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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