by कविता बहार | Sep 12, 2022 | हिंदी कविता
कविता लेखनी तू आबाद रह ——————————- जन-मानस ज्योतित कर सर्वदा, हरि भक्ति प्रसाद रह। लेखनी तूआबाद रह। पर पीडा़ को टार सदा, शुभ सदगुण सम्हार सदा। ज्ञानालोक लिए उर अन्दर, कर अन्तः उजियार सदा। बद विकर्म ढो़ग जाल... by कविता बहार | Sep 12, 2022 | हिंदी कविता
कविता संग्रह क्यों करता हूँ कागज काले.. क्यों करता हूं कागज काले …??बैठा एक दिन सोच कर यूं ही ,शब्दों को बस पकड़े और उछाले ।आसमान यह कितना विस्तृत ..?क्या इस पर लिख पाऊंगा ?जर्रा हूं मैं इस माटी का,माटी में मिल जाऊंगा। फिर भी जाने कहां-कहां से ,कौन्ध उतर सी आती... by कविता बहार | Sep 12, 2022 | हिंदी कविता
विषय-चलों,चले मिलके चलेविधा-अतुकांत कविता*चलो,चले मिलके चले*ताली एक हाथ सेनहीं बजती कभीचलने के लिए भीहोती दोनों पैरों की जरूरतफिर तन्हा रौब से न चले,चलो,चले मिलके चले।शक्ति है साथ मेंनहीं विखंड कर सकता कोईकरता रहता जागृत सोए आत्मा कोहरता प्रतिपलउदासीपन, असहनीय दर्द... by कविता बहार | Sep 12, 2022 | हिंदी कविता
हिंदी कविता – नशा नर्क का द्वार है मानव आहार के विरूध्द मांसाहार सुरा,बिडी़ ,सिगरेट, सुर्ती नशा सब बेकार है।नहीं प्राणवान है महान मानव योनि में वो,जिसको लोभ ,काम,कृपणता से प्यार है।अवगुण का खान इन्सान बने नाहक में,बिडी़, सुर्ती,सुरा नशा जिसका आहार है।सर्व प्रगति... by कविता बहार | Sep 9, 2022 | अन्य काव्य शैली
जन-जन की रक्षा है करती |भक्तजनों के दुख भी हरती ||ऊँचे पर्वत माँ का डेरा |माँ करती है वहीं बसेरा ||भक्त पुकारे दौड़ी आती |दुष्टजनों को धूल चटाती ||भक्तों की करती रखवाली |जगजननी माँ खप्परवाली ||भक्त सभी जयकार लगाते |चरणों में नित शीश...