Author: कविता बहार

  • आत्मसम्मान पर कविता

    kavita

    आत्मसम्मान पर कविता

    बीच चौराहे बेइज़्ज़त हुआ
    क्या मेरा आत्मसम्मान नही था
    पलट के देता उत्तर मैं भी
    पर दोनो के लिए कानून सामान नहीं था
    वो मारती गई , में सहता गया
    क्या गलती है मेरी दीदी ये मैं कहता गया
    वो क्रोध की आग में झुलस रही थी
    नारी शक्ति का सहारा लेकर मचल रही थी
    अगर कानून दोनो के लिए एक जैसा होता
    फिर बताता तुझे आत्मसम्मान खोना कैसा होता।

    अदित्य मिश्रा
    दक्षिणी दिल्ली, दिल्ली
    9140628994

  • विधवा पर कविता

    विधवा पर कविता

    विधवा पर कविता का विषय अक्सर समाज की उन कठिनाइयों और चुनौतियों को दर्शाता है, जो एक महिला को अपने पति के निधन के बाद सहन करनी पड़ती हैं। ये कविताएँ उसकी आंतरिक पीड़ा, संघर्ष, समाज की कठोरता, और कभी-कभी उसके पुनर्जीवन और आत्म-सशक्तिकरण की भी कहानी कहती हैं।

    विधवा पर कविता

    विधवा पर कविता
    Kavita-bahar-Hindi-doha-sangrah

    जो वक्त से पहले हो जाती हैं विधवाएं

    वे मांए जो वक्त से पहले हो जाती हैं विधवाएं
    वे कभी- कभी बन जाया करती हैं प्रेमिकाएं
    उनके अंदर भी प्रेम फ़िर से एक नए रंग में दाखिल होने लगता है
    लेकिन उनका ये बदला रूप चुभने लगता है
    ऐसे समाज ,परिवार और घर को
    जो सिर्फ़ करते हैं बातें सतही
    वे नहीं सहन कर पाते ऐसे बदलाव को जिसमें होती है उनकी छवि धूमिल
    जिसे गढ़ा जाता रहा है ख़्वाहिशों की अधमरी पीठ पर
    उन्हें चाहिए रहती ,सदा वो भोली गुड़िया जिसे अपने हिसाब से चलाया जा सके
    जब तक विधवाएं अपने गुज़रे पति की याद में आंसू बहाती हैं
    तब तक
    बेचारी ,अबला ,अकेली ,कैसे काटेगी ज़िंदगी अकेले बोलकर ज़ाहिर करते हैं संवेदनाएं
    लेकिन जब
    वे ख़ुद को संवारने, स्व जीने की करती हैं कोशिश
    तब दखता है दोगला रूप समाज का
    कुल्टा ,चरित्रहीन ,बेशर्म ,घर का नाश करने वाली डायन आदि अनगिनत नामों को अपने नाम के पर्याय से दर्ज़ करवा चुकी होती हैं विधवाएं

    विभा परमार,पत्रकार थिएटर आर्टिस्ट।
    बरेली उत्तर प्रदेश।

    विधवा

    जीवन की राहों पर चली अकेली,
    उसका सहारा छिन गया, बस यादें ही सजीली।
    सपनों का संसार बिखर गया,
    जीवन का साथी जब बिछड़ गया।

    सजी थी जिस बगिया में खुशियों की बहार,
    अब वहाँ सिर्फ़ दर्द का आलम है हर बार।
    समाज की बेड़ियों में जकड़ी,
    हर कदम पर सवालों से टकराती।

    क्या उसकी हँसी अब गुनाह है?
    क्या उसकी जिंदगी का अब यही सरताज है?
    आँखों में आंसू, दिल में दर्द,
    फिर भी जीने का करती है हर रोज़ मर्द।

    अपनों ने भी उसे त्याग दिया,
    उसके अस्तित्व को जैसे नकार दिया।
    पर वो फिर भी हिम्मत से लड़े,
    जीवन की इस कठिन राह पर बढ़े।

    उसके दिल की गहराई में उमंग की लौ,
    आशा की किरण से भरी हो नई भोर।
    वो फिर से अपने पंख फैलाएगी,
    नए सपनों की उड़ान भरेगी।

    समाज के तानों से ऊपर उठकर,
    अपने जीवन को नई दिशा देगी।
    विधवा नहीं, एक सशक्त नारी,
    जो अपनी ताकत से नया सूरज चढ़ाएगी।

    यह कविता विधवा स्त्रियों की पीड़ा और संघर्ष को शब्दों में पिरोती है, साथ ही उनके आत्मविश्वास और पुनर्जागरण की उम्मीद को भी दर्शाती है।

  • उनसे मेरा प्यार महादेव की निशानी है

    उनसे मेरा प्यार महादेव की निशानी है

    उनसे मेरा प्यार महादेव की निशानी है

    थाम  लो  बखूबी  हाथ आने से  रोको उन्हे
    अपने   इलाके   मे   शेर   सी  कहानी  है ।

    मानो  ना  मानो  ये  बिधि का  बिधान  जान
    उनसे  मेरा  प्यार  महादेव  की  निशानी है।।

    बेशक  खड़ा  हूं   मै  अकेला   ही  देख  लो
    ताकत  है  सत्य  की  अधर्म  की  रवानी  है।

    मोहब्बत  के  रास्ते मे  षड़यंत्र तुम सोचो गर
    आर्यन ‘ की नजरों मे  नामर्द की निशानी है।।

    तुम चाहें हजार लोग एक होकर विरोध करो
    वक्त  की  बर्बादी  कुछ  हाथ  नही आनी है।

    धोखे  मे  मत  रहना  ऐलान  फिर  करता  हूं
    जीतना  ही  लक्ष्य  मैने  हार  नही  मानी  हैं।।

    इज्जत से पेश आओ तो दिल से लगाऊंगा
    नफरत  की  दुनिया में  महफिल  जमानी है।

    आर – पार  करता हूं  दोस्ती  हो  या दुश्मनी
    खोलकर  पढो  मेरी  बड़ी लम्बी कहानी है ।।

    अमन  चैन  आया  तो  ठुकराने  लगे  आप
    समझदार  होकर  सच  बात  नही  जानी है।

    मैं   हूं  उनका   वो   बनी   सिर्फ   मेरे   लिये
    सोच लो अब आप आगें बात क्या बढ़ानी है।।

    प्रस्तुति –
    युवाकवि एन्ड रचनाकार आर्यन सिंह यादव

  • शिक्षक का दर्द

    डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

    “शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।

    शिक्षक का दर्द

    Kavita-bahar-Hindi-doha-sangrah

    कहाँ गए वो दिन सुनहरे!
    शाला में प्रवेश करते ही,
    अभिवादन करते बच्चे प्यारे,
    श्यामपट को रंगीन बनाते,
    चाॅक से सनी उँगलियों को निहारते,
    बच्चों की मस्ती देखते,
    खुशी मनाते,खुशी बांटते,
    बच्चों संग बच्चे बन जाते,
    माँ बन बच्चों को सहलाते,
    गुरू बन फिर डांट लगाते,
    मित्र बन फिर गले लगाते,
    ज्ञान बांटते,मुश्किल सुलझाते,
    भविष्य के सपने दिखलाते,
    उन्हें सच करने की राह बतलाते,
    अनगिनत आशाएँ जगाते,
    भाईचारे का सबक सिखलाते।
    कहां गए वो दिन सुनहरे!
    कब आयेंगे वो दिन उजियारे?
    फिर आए वह दिन नया सुनहरा,
    फिर से खुले हमारा विद्यालय प्यारा।
    फिर से बजे शाला की घंटी प्यारी,
    कानों में गूँजे बच्चों की किलकारी।

    माला पहल’, मुंबई

  • गुलाब नहीं है पुष्प आज

    गुलाब नहीं है पुष्प आज

    गुलाब

    कवि: डॉ हिमांशु शेखर

    ये प्रेम प्रतीक, इश्क आज,
    प्रेमी का है ये अश्क आज,
    उपयोगी ना है मुश्क आज,
    करना ना कोई रश्क आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    कोमलता के इतने भक्षक,
    दिखते सबमें केवल तक्षक,
    है खार बना इसका रक्षक,
    कांटों से ही ये चुस्त आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    है स्वेद रक्त ये माली का,
    तितली से पाए लाली का,
    भौरों की हर बदहाली का,
    इसमें केवल है रक्त आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    गुलकंद खाद्य विचित्र बने,
    इसकी सुगंध से इत्र बने,
    ऊर्जा इसकी चरित्र बने,
    मनमोहक है ये सत्व आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    प्रेमी दिल की है धड़कन,
    ये प्रेम पत्र सा आकर्षण,
    प्रेमी के चेहरे का दर्शन,
    प्रेमी गली की गश्त आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    है पुष्पगुच्छ में मूल यही,
    कर देता ये हर भूल सही,
    गलती सारी बन धूल बही,
    गलतफहमियां नष्ट आज,
    गुलाब नहीं है पुष्प आज।

    कवि: डॉ हिमांशु शेखर
    बंगला 05, नेकलेस एरिया,
    आर्मामेंट कालोनी, पाषाण,
    पुणे – 411021, भारत।
    मोबाइल: 919422004678
    ई-मेल : [email protected]