कब्र की ओर बढ़ते कदम -रमेशकुमार सोनी

कब्र की ओर बढ़ते कदम पतझड़ में सूखे पत्ते विदा हो रहे हैंविदा ले रहे हैं, खाँसती आवाज़ें ज़माने सेकुछ पल जी लेने की खुशी सेवृद्धों का झुंड टहलने निकल…

अब्र की उपासना

अब्र की उपासना मेरी यही उपासना, रिश्तों का हो बन्ध।प्रेम जगत व्यापक रहे, कर ऐसा अनुबन्ध।। स्वप्रवंचना मत करिये, करें आत्म सम्मान।दर्प विनाशक है बहुत, ढह जाता अभिमान।। लोक अमंगल…

रक्त दान पर दोहे

रक्त दान पर दोहे रक्त दान हम सब करे,तन को चंगा पाय।खुद को होवे लाभ जी,दूसर जान बचाय।। डॉक्टर हर दिन ये कहे,मानव होत महान।पर हितकारी ध्यान में,करे रक्त का…

वृक्षारोपण पर कविता

वृक्षारोपण पर कविता poem on trees गिरा पक्षी के मुहं से दानाबस वही हुवा मेरा जनम!चालिस साल पुराना हु मैजरा करना मुझ पे रहम!! आज भी मुझको याद हैवह बिता…

मै भी एक पेड़ हूं मत काटो

मै भी एक पेड़ हूं मत काटो   (१)गली गली में मै हूं, छाया तुम्हे देता हूं।खेतों की पार में हूं, वर्षा भी कराता हूं।शीतल हवा देता हूं ,चुपचाप मै…
summer sea

भोजपुरी पर्यावरण लोक गीत -जून दुपहरिया में

जून दुपहरिया में जून दुपहरिया मे देहिया जरेला |सूखल होठवा पियासिया लगेला | सुना मोरे सइया |कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार |सुना मोरे सइया | पेड़वा का छांव नाही ,चले…

मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से

मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से,। मैं मरुं नित असहनीय पीडा से, मैं गुजरता नित कठिन परिस्थितियों से, मेरी सुंदरता कोमल शाखाओं से,उमर से पहले…

सुलगता हुआ शहर देखता हूँ

सुलगता हुआ शहर देखता हूँ   इधर भी उधर भी जिधर देखता हूँ,सुलगता हुआ हर शहर देखता हूँ, कहीं लड़ रहे हैं कहीं मर रहे हैं,झगड़ता हुआ हर नगर देखता…