धरती को सरसा जाओ
प्रकति पर सुंदर चित्रण किया गया है।
प्रकति पर सुंदर चित्रण किया गया है।
विधाता छंद में प्रार्थना विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे देना।यतीमों की करो रक्षा,भले अरमान दे देना।.प्रभो संसार की बाधा,भले मुझको सभी देना।रखो ऐसी कृपा … Read more
हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम तुम मिल नवरस में गाएँ,गीत नए नव पौध लगाएँ।ढहते भले पुराने बरगद,हम तुम मिल नव … Read more
भारतीय वायु सेना के सम्मान में कविता भारतीय वायु सेना के जवानों के,सम्मान में सादर समर्पित छंद,. (३०मात्रिक (ताटंक) मुक्तक) मेरे उड़ते…… ….. बाजों काचिड़ीमार मत काँव काँव कर,काले काग रिवाजों के।वरना हत्थे चढ़ जाएगा,मेरे उड़ते बाज़ों के।बुज़दिल दहशतगर्दो सुनलो,देख थपेड़ा ऐसा भी।और धमाके क्या झेलोगे,मेरे यान मिराजों के। तू जलता पागल उन्मादी,देख भारती साजों … Read more
जीत मनुज की . (१६,१६) काल चाल कितनी भी खेले,आखिर होगी जीत मनुज कीइतिहास लिखित पन्ने पलटो,हार हुई है सदा दनुज की।। विश्व पटल पर काल चक्र ने,वक्र तेग जब भी दिखलाया।प्रति उत्तर में तब तब मानव,और निखर नव उर्जा लाया।बहुत डराये सदा यामिनी,हुई रोशनी अरुणानुज की।काल चाल कितनी भी खेले,आखिर,………………….।। त्रेता में तम बहुत … Read more