शिवाजी महाराज ने 16वीं शताब्दी में डक्कन राज्यों को एक स्वतंत्र मराठा राज्य बनाया था। उन्होंने पहले हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था.
पुष्पों की सुंदर मालाएँ
o आचार्य मायाराम ‘पतंग’
पुष्पों की सुंदर मालाएँ,बेशक मंचों पर पहनाएँ,
बिना तपस्या, त्याग, समर्पण।वीरों का सम्मान न होगा ।
वीर शिवाजी की गाथाएँ, चाहे कर लें याद जवानी ।
लेकिन कोई लाभ न होगा, जो न कर सकें हम कुर्बानी ।
घर-घर में तस्वीर सजा लें, चौराहों पर मूर्ति लगा लें।
जब तक साहस धैर्य न धारें, वह चरित्र निर्माण न होगा।
वीरों का सम्मान न होगा ।।
फिर से जनें वीर शिवाजी, गीत भले मंचों से गा लें।
लेकिन किसी और के घर में, माता-पिता दूसरे पा लें।
नभ चुंबी मीनार बना लें, आकर्षक नारे खुदवा लें।
श्रद्धा और समर्पण के बिन, छत्रपति का मान न होगा ।।
वीरों का सम्मान न होगा ॥
अब समर्थ गुरु रामदास के, ज्ञान पूर्ण उपदेश कहाँ हैं ?
दादा कोंडदेव के कर्मठ, हितकारी संदेश कहाँ हैं ?
जीजाबाई सी माँ होवें, संस्कारों की खेती बोवें।
बिना सत्य के बिना न्याय के भारत का कल्याण न होगा ।।.
वीरों का सम्मान न होगा ।।
इंद्र जिमि जंभ पर
● महकवि भूषण
इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व सुअंभ पर,
रावन सदभ रघुकुलराज है;
पौन वारिवाह पर संभु रतिनाह पर,
ज्यों सहस्त्रबाहु पर राम द्विजराज है ।
दावा द्रुम-दंड पर चीता मृगझुंड पर,
‘भूषन’ बितुंड पर जैसे मृगराज है;
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
त्यों मलेच्छ बंस पर शेर शिवराज है ।
राखी हिंदुवानी हिदुवान को तिलक राख्यो,
स्मृति पुरान राखे बेदबिधि सुनी मैं;
राखी रजपूती राजधानी राखी राजन की,
धरा में धरम राख्यो – राख्यो गुन-गुनी मैं।
‘भूषन’ सुकवि जीति हद्द, मरहट्टन की,
देस- देस कीरति बखानी तब सुनी मैं,
साहि के सपूत सिवराज समसेर तेरी,
दिल्ली दल दाबि के दिबाल राखी दुनी मैं ।
बेद राखे बिदित पुरान राखे सार युत,
राम नाम राख्यो अति रसना सुघर में;
हिंदुन की चोटी रोटी राखी है सिपाहिन की,
काँधे में जनेऊ राख्यो माला राखी गर में ।
मीड़ि रखे मुगल मरोरि राखे पातसाह,
बैरी पीसि राखे बरदान राख्यो कर में;
राजन की हद्द राखी तेग बल सिवराज,
देव राखे देवल स्वधर्म राख्यो घर में ॥