बहुत कठिन है वास्तविक होना कठिन ही नहीं असंभव है वास्तविक होना वास्तविक हम या तो बचपन में होते हैं या अपने जीवनसाथी के पास होते हैं असल में जीवनसाथी के पास भी वास्तविक होने में बहुत से पहलू रह जाते हैं अपने बच्चों व माता-पिता के समक्ष पूरी तरह से बनावटी हो जाते हैं एक आदर्श का आडम्बरपूर्वक ओड लेते हैं आवरण हो जाते हैं वास्तविकता से बहुत दूर हमारे मन-मस्तिष्क में चल रहे विचारों का हो जाए सीधा-प्रसारण मात्र वही कर सकता है हमें वास्तविक
कवि होना नहीं है साधारण अपेक्षित हैं उसमें असाधारण विशेषताएं मात्र कवि होना ही बहुत बड़ी बात है लेकिन फिर भी आत्मश्लाघा के मारे लगते हैं नवाजने खुद को ही राष्ट्रीय कवि वरिष्ठ साहित्यकार के खिताबों से नाम के आगे-पीछे लगा लेते हैं ऐसे उपनाम जिन पर स्वयं नहीं उतरते खरे सम्मानित होने व करने का कारोबार ले जाता है पतन के रसातल में उनसे जनकल्याण के सृजन की अपेक्षा करना बेमानी है
771/14, गीता कॉलोनी नजदीक धर्मशाला व खेड़ा डांगरा रोड़, टोहाना जिला फतेहाबाद (हरियाणा) पिन कोड 125120
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अनुच्छेद संतालिस पढ़, भारतीय संविधान| नशा नियंत्रण सत्ता करे, कर रहा है बखान|| कर रहा है बखान, इसे लागू करवाओ| नशों से कर के मुक्त, धरती को स्वर्ग बनाओ|| विनोद सिल्ला की सुन, कर दो नशा निषेध| मूल-रूप में पालना, हों सब के सब अनुच्छेद||