Author: कविता बहार

  • हिन्दुस्तान की कहानी पर कविता

    हिन्दुस्तान की कहानी पर कविता

    बहुत ही प्यारा “सोन चिड़िया” था मेरा नाम,
    धर्मनिरपेक्षता,अतिथि देवो भवःथा मेरा काम।
    संपूर्ण संसार में था एक अलग ही पहचान,
    हिन्द की संस्कृति का सभी करते थे बखान।
    भारत की महिमा सभी ने थी,पहचानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    लालच और द्वेश ने देश का सर्वनाश किया,
    विदेशियों ने आकर इस धरा पर राज किया।
    रंगभेद-छुआछूत को संपूर्ण भारत में फैलाए,
    हमारे अधिकारों को दबाकर राजा वो कहलाए।
    बहुत निंदनीय थी,उस पल की जिन्दगानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    अंग्रेजों के अत्याचारों से,देश हुआ बर्बाद,
    स्वाधीनता के लिए करते थे,नित फरियाद।
    जब फैला सर्वत्र देश में क्रान्ति का तूफान,
    लक्ष्मीबाई,मंगलपांडे जैसे वीर हो गए कुर्बान।
    भगतसिंह ने युवाओं में एसा जोश भर दिया,
    देकर कुर्बानी,आजादी को यादगार कर दिया।
    महात्मा गांधी जी,का पुरा विश्व थी दिवानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    सुभाषचंद्र बोस,चंद्रशेखर जैसे वीर थे महान,
    नेहरू,सरदार पटेल जैसे नेता थे हिन्द की शान।
    लाला लाजपतराय जी का अलग ही था अंदाज,
    गोपाल कृष्ण गोखले,जैसे साहसी थे जाबांज।
    आजादी की किमत सभी ने थी,पहचानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    जनरल डायर ने लिया था,असहायों की जान,
    बड़ा ही भयानक था,जलियांवाला हत्याकांड।
    क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के थे,छक्के छुड़ाए,
    भारतीयों ने गोरे तानाशाहीयों के होश उड़ाए।
    देशभक्त वीरों के गाथा सभी को है बतानी।
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    15अगस्त1947 को भारत हुआ आजाद,
    नारे से गुंज उठा हिन्दुस्तान-जिन्दाबाद।
    वीर क्रांतिकारियों का सपना हो गया पुरा,
    फिरंगियों के चलते जो रह गया था अधूरा।
    आजादी मनाई थी,गंगा-जमूना की पानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    स्वतंत्रता दिवस को सभी फहराएं तिरंगा,
    भूल से भी ना करो,कहीं सांप्रदायिक दंगा।
    आजादी की जज्बा को अपने हृदय में भरलो, हिन्दूस्तान के शहीदों को जरा याद भी करलो।
    हिन्दू-मुस्लिम,जैन-बौद्ध,सिक्ख-इसाई,
    न करो लड़ाई,आपस में हैं सभी भाई-भाई।
    कहता है’अकिल’हम सभी है हिन्दुस्तानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    अकिल खान.
    सदस्य, प्रचारक “कविता – बहार” जिला-रायगढ़ (छ.ग.).

  • विद्यालय का श्रृंगार –

    विद्यालय का श्रृंगार

    आशाओं के परिवेश में ये देखो उलझे नजारे हैं,
    बच्चे हैं देश के भविष्य ये कल के सितारे हैं।
    अ,आ,वर्णमाला विद्यालय का प्रथम आयाम है,
    1से 100 तक गीनती बच्चों का व्यायाम है।
    उचित ज्ञान से दूर होता है मन का विकार,
    विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

    उत्साहित होकर चलते हैं नन्हें पैर,
    न मन मे है मनमुटाव न दिल मे बैर।
    हां,अज्ञानता के कारण लड़ते हैं बच्चे,
    बच्चे क्या जाने? बच्चे होते हैं अच्छे।
    बच्चों के लिए पाठशाला है ज्ञान का संसार,
    विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

    श्यामपट की खिड़की से भविष्य को निहारते हैं,
    करके अथक प्रयास बच्चे गलती सुधारते हैं।
    विद्यालय में गुरु अहम भुमिका निभाता है,
    गुरू का डांट बच्चों का भविष्य बनाता है।
    शिक्षक मे छलकता है माता-पिता का प्यार,
    विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

    विद्यार्थी करते हैं अर्जीत अनमोल ज्ञान,
    सच्ची मेहनत से बच्चे बनते हैं महान।
    घर-परिवार सभी का आंखों का तारा,
    मंजिल से बनते हैं ये सभी का प्यारा।
    विद्यार्थी बनते हैं उचित ज्ञान से वफादार,
    विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

    अकिल खान.
    सदस्य, प्रचारक “कविता-बहार” जिला – रायगढ़ (छ.ग.).

  • सात्विक आहार-शाकाहार/रमेश कुमार सोनी

    सात्विक आहार-शाकाहार/रमेश कुमार सोनी

    शाकाहार पूर्णतः स्वैच्छिक आहारिक आदत है जिसमें केवल पौधों से प्राप्त आहार का सेवन किया जाता है। जिसमें शाकाहारी व्यक्ति अन्य जीवों का साथी बनता है, जो उच्च ऊर्जा और पोषण से भरपूर पौधों का सेवन करता है। यह अपने आपको प्रकृति से जोड़कर अधिक निकट रखते हुए उसके संरक्षण एवं संवर्धन की सोच से जुड़ा हुआ है जो मानवीय सभ्यता के विकास की प्रगतिवादी सोच है।

    सात्विक आहार-शाकाहार/रमेश कुमार सोनी

    सबके अपने पक्ष

    मानव शरीर को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार ही भोजन की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार के तत्व हैं-कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, रुक्षांस एवं पानी। इन सभी को उसकी ज़रूरत के अनुसार कोई भी अपनी ज़ेब की ताकत और जीभ के स्वाद के अनुसार उपभोग करता है। यह उसकी अपनी परिस्थिति, पारिवारिक और सामाजिक जीवन शैली पर भी निर्भर करता है कि वह किस पद्धति को अपनाएगा तथापि वह इसे अपनाने के कई बहाने अपने पक्ष में तैयार रखता है। वर्तमान में शाकाहार और मांसाहार के पक्ष में कई लोगों की अपनी भीड़ तर्कों के साथ खड़ी है और किसी को किसी से कोई परेशानी नहीं है अलबत्ता सभी अपनी शैली को प्रोत्साहित करने के कई आयोजन करते हुए अपने आपको श्रेष्ठ बताते हुए पाए जाते हैं। कहीं-कहीं कोई इसे प्रोत्साहित करने या दिखावे के फेर में ट्रोल किए जाते हैं जो उचित नहीं।

    शाकाहार : विज्ञान सम्मत आहार प्रक्रिया

    शाकाहार वर्तमान में एक विज्ञान सम्मत आहार प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने आपको प्रकृति से जोड़ते हुए ऊर्जा की प्राप्ति के सर्वाधिक निकट होता है, इस तरह वह पर्यावरणीय जीवंतता और इसके संवर्धन का झंडा उठाए हुए है। खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में जो भी उपभोक्ता प्रकृति (उत्पादक) के जितने निकट होगा वह उतनी ही ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करेगा और चाहेगा कि उसका भंडार इस दुनिया में अक्षुण्ण रहे। मांसाहार तैयार होने में शाकाहार की तुलना में प्रकृति द्वारा पानी का उपयोग ज्यादा होता है इसलिए पेयजल की गंभीर समस्या को देखते हुए भी शाकाहार को प्राथमिकता दिए जाने की खबरें हैं।

    शाकाहार के प्रकार

    शाकाहार के प्रकार हैं-

    1 वीगन-

    ये केवल साबुत अनाज, फलियाँ, फल, सब्जियाँ, नट और बीज का सेवन करते हैं। वे डेयरी उत्पाद नहीं लेते हैं।

    2 लैक्टो शाकाहारी-

    ये शाकाहारी हैं, लेकिन वे दूध, पनीर, दही, मक्खन, घी और क्रीम सहित डेयरी उत्पादों का भी सेवन करते हैं। वे अंडे नहीं खाते हैं ।

    3 ओवो शाकाहारी-

    ये अनाज, फलियाँ, फल, सब्जियाँ, नट्स, बीज और अंडे का सेवन करते हैं लेकिन डेयरी उत्पाद नहीं।

    विकास की गाथा में शाकाहार


    आवश्यक पोषण के मायने मानवीय सभ्यता के विकास की गाथा के साथ बदलते रहा है। वर्तमान में हमारे पास प्रत्येक भोजन के विकल्प सभी के पास उपलब्ध हैं तथापि शाकाहार हमें जीवन में एकाग्रता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। इससे हमारे नैतिक मूल्यों का समर्थन होता है, जो सार्वजनिक हित के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस तरह शाकाहार एक समृद्ध, सात्विक, और संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है। इस शैली में अनाज,दाल, फल,हरी सब्जियाँ,नट्स और दूध लिया जाता है जिसमें सभी पोषक तत्व के साथ एंटीऑक्सीडेंट की भी पूर्णता हो जाती है। यह मौसमी फलों एवं सब्जियों के उपभोग को भी बढ़ावा देता है इस तरह यह कृषक, माली और गौपालन को स्थानीय स्तर पर समृद्ध करने की भी प्रक्रिया से भी जुड़ा हुआ है।

    कुछ देशों में शाकाहारियों के अपने विशेष अधिकार हैं जबकि इससे जुड़े अर्थशास्त्र की कई गणनाएँ मौजूद हैं। सनातन सभ्यता पद्धति में हिन्दू,जैन एवं बौद्ध धर्म के मतावलंबियों को इसे प्राचीन काल से अपनाते हुए पाया जाता है। शाकाहारी भोजन ग्रहण करने के मामले में भारत विश्व में पहले नम्बर पर है। ईसा पूर्व से ही साधु-संतों के द्वारा शाकाहार में कन्द-मूल लेने से सम्बंधित कई पौराणिक तथ्य मिलते हैं।

    मांसाहार- ग्लोबल वार्मिंग का खतरा

    एक शोध में पाया गया कि आहार से मांस और डेयरी उत्पादों को काटने से किसी व्यक्ति के भोजन से कार्बन फुटप्रिंट को 73 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन से आहार में एक साधारण बदलाव से इन सब से बचा जा सकता है!

    मांसाहारी सिर्फ मांसाहार ही लेते हैं ऐसा नहीं है वे शाकाहार भी यथासमय लेते हैं इस दृष्टि से ये विशुद्ध मांसाहारी नहीं माने जा सकते हैं। कुछ लोग डेयरी प्रोडक्ट को भी शाकाहार से अलग हटाकर देखते हैं। वर्तमान में किसी भी पद्धति को अपनाना पूर्णतः व्यक्तिगत एवं स्वैच्छिक है। मांसाहार पशु क्रूरता, हिंसा और हत्या जैसे जीवन जीने के अधिकार को छीनने से जुड़ा है जो हमें राजसिक और तामसिक भोजन देता है जबकि शाकाहार सात्विक भोजन होता है। पशु चराई और पशु मल कुप्रबंधन से कई गुना ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ जाता है। मांसाहारियों के लंबे,और नुकीले दांत होते हैं जो मनुष्यो के नहीं होते ,मांसाहारियों में छोटी आँतें होती हैं जबकि इंसानों में लम्बी साथ ही पशुओं के यकृत आनुपातिक रूप से बड़े होते हैं जो यूरिक एसिड को बेअसर कर देते हैं। यह भोजन राजसिक या तामसिक होने के कारण ताजा नहीं होता और इसमें उच्च मात्रा में संतृप्त वसा होती है जो रोगकारी हो सकता है।

    जीवन संतुलन में शाकाहारी आदतें

    शाकाहारी आदतें शरीर के वजन सहित कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने में सहायक है जिससे मोटापा जनित रोग- उच्च रक्तचाप,मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा न्यून होता है। इस पद्धति में विटामिन बी12,कैल्शियम और आयरन की कमी प्रायः देखी जाती है। शाकाहारी होने के लोगों के अपने-अपने तर्क हैं जैसे-स्वास्थ्य,नैतिकता, धर्म,परंपरा एवं पर्यावरण से जुड़ा होना। जंक फूड और शाकाहारी पैकेट बन्द भोजन जैसे- चिप्स, सोडा और कूकीज हानिकारक प्रभाव देते हैं क्योंकि इनमें अतिरिक्त सोडियम,शक्कर और संतृप्त वसा की अधिकता होती है। आजकल कैलोरी गणना और बॉडी मॉस इंडेक्स के आधार पर विशेषज्ञों के सुझाए अनुसार लोग आहार ग्रहण कर रहे हैं।

    प्रकृति के और अपने परिवेश में अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर जो आहार जिसे उचित लगता है वह उसके पक्ष में खड़ा होता है तथापि शाकाहार जीवन शैली इस देश के अनुरुप है जिससे आप अपनाते हुए अपने एवं अपनों के हित की रक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। मेरी आप सभी से यह अपील है कि शाकाहार अपनाते हुए अपने जीवन में करुणा और अहिंसा को बढ़ावा दीजिए।
    हरे भरे जियो और हरे भरे रहो।

    रमेश कुमार सोनी
    रायपुर,छत्तीसगढ़

  • दृश्य के उस पार / रमेश कुमार सोनी

    दृश्य के उस पार / रमेश कुमार सोनी

    उस एक दृश्य में उसकी
    आँख में मैंने गंभीर ख़ौफ़ देखा
    जिसे उन्होंने ही पाल-पोष कर बड़ा किया था
    खून से इतनी मोहब्बत की
    हुजूम चलती है उनके साथ लार टपकाते
    अहंकार से चूर इन्हें किसी से कोई मतलब नहीं।

    दूसरे दृश्य में करुणा है, लाचारी है कि
    उसका कोई और मालिक है
    माली भी पालता-पोषता है लेकिन
    इसका प्रेम छलावा नहीं होता
    दोनों का सम्बंध भूख मिटाने से है।

    जीभ को यदि लाल रंग पसंद है
    तो गाजर, चुकंदर भी कुछ लोग चुन लेते हैं
    तो कोई अपनी शक्ति दिखाना चाहता है
    फ़र्क तो सदा से ही रहा है
    करुणा और हिंसा में।

    लोग अनजानी परम्परा से बँधे हैं
    लोक लाज का गँड़ासा टँगा है समाज में
    सुरा-सुंदरी इसके साथी हैं
    पेट को इन मृत पशुओं की कब्र बनाकर
    लोग मातम के आँगन में नाच रहे हैं
    दूर बच्चा रो रहा है माँ की गोद में
    आसमान भी ख़ामोश है।

    बेशक अधिकार है आपको रंग चुनने का
    इसके विकल्प भी हैं लुत्फ़ उठाने के लिए
    आप शाकाहार का चश्मा पहनिए
    हरियाली आपके स्वागत में खड़ी मिलेगी
    सच्चे प्रेम और करुणा की किल्लोल करती।

    किसी भूखे को पूछें कि क्या खाएगा?
    वह स्वाद कभी नहीं कहता
    अघाय लोगों की
    लपलपाती जीभ ही ये तय करती है कि
    उसे कौन आहार कब चाहिए।
    ……
    रमेश कुमार सोनी
    रायपुर, छत्तीसगढ़

  • सर्वोत्तम आहार /मीना रवि

    सर्वोत्तम आहार /मीना रवि

    सर्वोत्तम आहार /मीना रवि

    सभी धर्मों ने शुरू से ही शाकाहारी जीवन शैली को अपनाने की शिक्षा दी हैं,
    यूनानी दार्शनिक पाइथागोरस को नैतिक शाकाहार का जनक माना जाता है।

    किसानों की कड़ी मेहनत सबको याद दिलाएं अन्नदाता की उम्मीदों को हम पूरा कराएं,
    भुखमरी को हम मिटाएं और पशुओं का संरक्षण करें यह संकल्प हो हमारा।

    मन मंदिर में बसने वाला शाकाहारी राम था चाहते तो खा सकते थे
    वह भी जंगल में मार कर मांस पशु का, लेकिन उसको त्याग कर उन्होंने खाये प्यार से शबरी के झूठे बेरों को।

    राम-कृष्ण और नानक जैसे वीरों की यश गाथा हूं मैं मुरली से वश में करने वाले गिरधर मुरारी थे,
    महावीर स्वामी जी ने भी अहिंसा को छोड़ने की शिक्षा दी थी।

    कंदमूल खाने वालों से मांसाहारी भी डरते हैं, निरोग जीवन का एक ही मंत्र शाकाहारी जीवन शैली को अपनाएं।

    अपनी आंखें खोल देख लों पशु की करूण क्रंदन को, इंसानों का जिस्म बना है
    शाकाहारी भोजन को, अंग लाश के खा जाएं क्या फिर वो इंसान हैं?

    पेट तुम्हारा मुर्दाघर है या कब्रिस्तान, प्रेम त्याग और दया भाव की फसल जहां पर उगती है
    वहां हर धर्म में शाकाहारी बनने की शिक्षा दी जाती है।

    पशुओं की, पौधों के संरक्षण की कहानी दुनिया जानती है फिर क्यों भूल जाते हो?
    अपने मुंह के स्वाद को पूरा करने के लिए पशुओं का जीवन नष्ट कर जाते हो।

    आंखें कितना रोती है जब उंगली अपनी जलती है सोचो उस तड़पन की हद जब पशुओं के जिस्म पर तुम्हारी आरी चलती हैं, बेबस पशु को देखा कसाईखाने में जिसके बचने के आसार नहीं।

    जीते जी पशु का तन काटा जाए उसकी पीड़ा का ध्यान नहीं,
    बिरयानी खाने से पहले उस जीव की चीख तो अवश्य सुन लेना।

    मांस अंडे और डेयरी उत्पाद छोड़ देने से वसा,
    कम कोलेस्ट्रॉल और बहुत पौष्टिक खाना मिलेगा जो शरीर को रोग मुक्त कर स्वस्थ बनाएगा।

    इसीलिए
    करुणा को धारण करके शाकाहारी जीवन को अपना लो, शाकाहारी खाना सबसे अच्छा है।

    संतुलित भोजन में हरी सब्जियां, फल, शहद,गुड़,साबुत अनाज शामिल कर हृदय को रोगमुक्त करो,
    आयुर्वेद में कहा गया है कि संतुलित भोजन ही सर्वोत्तम आहार है।

    लेखिका –

    श्रीमती मीना रवि, उतराखंड।