Author: कविता बहार

  • राखी का बंधन/ मनीभाई नवरत्न

    राखी का बंधन/ मनीभाई नवरत्न

    गीत: “राखी का बंधन”**

    गीतकार : मनीभाई नवरत्न

    manibhai Navratna
    मनीभाई पटेल नवरत्न

    अंतरा 1:
    (brother voice)
    राखी का बंधन है, रिश्तों की पूजा , रिश्तों के इस धागे में, प्यार है छुपा ।
    (sister voice)
    तू है मेरा भाई, तू ही मेरा साया, मेरे इस जीवन को, खुशी से सजाया।

    कोरस:*

    रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा, बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।

    **रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा,

    बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।**

    अंतरा 2:
    (sister voice)
    जब तू मुस्काए, दिल मेरा खिल जाए, तेरे हर आँसू में, मेरी आँखें भर आएं।
    (brother voice)
    तेरी हर राह में, साया बन के रहूँ , लगे जो धुप तुझे , छाया बन के रहूँ ।

    कोरस:*

    रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा, बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।

    रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा, बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।


    अंतरा 3:
    (sister voice)
    तू मेरा गर्व है , तू ही मेरी जान, भाई के खुशी में, बहना का मान।
    (brother voice)
    ** राखी के धागों संग , बहन का प्यार है ,
    तू सदा ही आगे बढ़ना , भाई की पुकार है ।**

    कोरस:*

    रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा, बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।

    रिश्तों की इस डोर में, बंधा है दिल हमारा, बहना के बिना अधूरा, भाई का सपना सारा ।

    इस गीत को गाने के लिए आप मध्यम सुर और धीमी से मध्यम लय का उपयोग कर सकते हैं। गीत की भावनात्मक गहराई और भाई-बहन के प्यार को व्यक्त करने के लिए कोमल सुरों का चयन किया गया है। यह गाना राखी के पवित्र बंधन की महिमा को और भी उजागर करेगा।

  • स्वतंत्रता दिवस अमर रहे

    स्वतंत्रता दिवस अमर रहे

    स्वतंत्रता दिवस अमर रहे!
    ***
    सतत् किया संघर्ष, गुलामी से छुटकारा पाने को,
    भारतीय जनता ने ठाना , जुल्मों सितम
    मिटाने को!
    वयोवृद्ध, बालक, बालिका और युवा सब
    थे एकत्र,
    ठान लिया था, अंग्रेज़ों का, छिन्न भिन्न हो
    जाए छत्र!
    स्वाधीनता की लौ जल रही, हर एक हृदय
    समाने को,
    आजादी के लिए, सभी थे, तत्पर मर मिट
    जाने को!
    अंग्रेजों ने छल पूर्वक, इस देश को हथियाया था,
    सीधी सादी जनता को, उसने तो बहुत
    सताया था।
    खेती बाड़ी, खुद का धंधा करने की मनाही थी,
    निर्धनता में जिएं सभी, ऐसे गोरों ने चाही थी!
    पर, गांधी, नेहरू, सुभाष, जैसे लोगों ने
    काम किया,
    भगत सिंह, आज़ाद, राजगुरु सुखदेव को
    साथ लिया,
    आंदोलन, सत्याग्रह करके विवश किया
    था गोरों को,
    भारत छोड़ो! कहकर सबने भगा दिया सब चोरों को,!
    पर बंटवारा हुआ देश का, यह दुःख का
    था विषय कठिन,
    पर जो होना था, उसका, क्या कर सकते
    हैै अब के दिन?
    जागो भारत वासी! हमको मिलजुलकर
    अब रहना है,
    एक सूत्र में बंधे हुए हम, संग संग सुख दुःख सहना है,,!

    पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली
    जिला रायगढ़ छ ग

  • तन्नक सुपारी हमें दैयो

    तन्नक सुपारी हमें दैयो

    तन्नक सुपारी हमें दैयो

    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल ,
    बढई भैया मित्र हमारे-(२)
    खेरे का डंडा मंगाय दैयो ओ मोरे लाल -(२)
    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल..

    लोहार भैया मित्र हमारे-(२)
    खेरे का डंडा में लोहे का कुंडा लगाय दैयो ओ मोरे लाल -(२)
    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल..

    कसार भैया मित्र हमारे-(२)
    खेरे का डंडा में लोहे का कुंडा में पीतल के घुँघरू लगाय दैयो ओ मोरे लाल -(२)
    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल..

    सुनार भैया मित्र हमारे-(२)
    खेरे का डंडा में लोहे का कुंडा में पीतल के घुँघरू में सोने की लड़ियाँ लगाय दैयो ओ मोरे लाल -(२)
    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल..

    जोहरी भैया मित्र हमारे-(२)
    खेरे का डंडा में लोहे का कुंडा में पीतल के घुँघरू में सोने की लड़ियों में हीरे और मोती लगाय दैयो ओ मोरे लाल -(२)
    तन्नक सुपारी हमें दैयो ओ मोरे लाल..

    • संकलित
  • गोली दन दन दन हो गयी शुरू

    गोली दन दन दन हो गयी शुरू

    गोली दन दन दन हो गयी शुरू

    गोली दन दन दन हो गयी शुरू ,हो गयी शुरू,
    भारत माँ के लाल गरजे शेर गबरू ..
    मूछ मरोड़ो,आगे आओ ,आया अपना दौर रे,
    और निचोड़ो ऐसे जैसे निम्बू दिया निचोड़ रे,
    क्योंकि गोली दन दन दन हो गयी शुरू ,हो गयी शुरू,
    भारत माँ के लाल गरजे शेर गबरू ..

    अरे खड़ा चीर दो खीरे जैसा मूली जैसा काटो ,
    उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम नरमुंडो से भर दो रे,
    क्योंकि गोली दन दन दन हो गयी शुरू ,हो गयी शुरू,
    भारत माँ के लाल गरजे शेर गबरू ..

    किसको यहाँ सदा रहना है,किसका यहाँ ठिकाना रे,
    किसका कन्धा,किसका कुंदा,माँ का घाव पुराना है,
    मुट्ठी भर सांसो की गठरी मरघट पर ले जाना है,
    क्योंकि गोली दन दन दन हो गयी शुरू ,हो गयी शुरू,
    भारत माँ के लाल गरजे शेर गबरू ..

    • संकलित
  • भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर / मनीभाई नवरत्न

    भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर / मनीभाई नवरत्न

    भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर

    भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर / मनीभाई नवरत्न

    (Intro)
    देश की माटी का सपूत था वो,
    अंग्रेज़ों के लिए काल था।
    कभी डरते ना, कभी ना झुकते थे,
    आजादी का मिसाल था ।

    (Chorus)
    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर ,
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    (Verse1)
    फांसी का फंदा हंसते हुए पहना,
    देश के लिए जीवन किया न्योछावर ।
    कुर्बानी दे दी अपने प्राण की ,
    देशप्रेम कीi भावना , लाने लगा असर।

    (Chorus)
    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर ,
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर ,
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    (Verse 2)
    हौंसले तुम्हारे सीखाता है हमको,
    डर के आगे नहीं झुकना है कभी।
    रास्ते तुम्हारे चलकर हमको,
    मंजिल से पहले नहीं रुकना है कभी।

    (Chorus)
    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर ,
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमर ,
    तुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।

    (Outro)
    देश की माटी का सपूत था वो,
    अंग्रेज़ों के लिए काल था।
    कभी डरते ना, कभी न झुकते थे,
    आजादी का मिसाल था ।

    मनीभाई नवरत्न