बचपन की यादें -साधना मिश्रा
बचपन की यादें -साधना मिश्रा वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो कंचा कंकड़ खेलना वो लड़ना झगड़ना। वो छोटा सा आंगन वो बारिश का पानी।वो…
बचपन की यादें -साधना मिश्रा वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो कंचा कंकड़ खेलना वो लड़ना झगड़ना। वो छोटा सा आंगन वो बारिश का पानी।वो…
उपवास का महत्त्व
प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन पर गद्य लेख
आक्सीजन के लिए जंग कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकतर मौतें आक्सीजन ना मिलने के कारण हुई हैं।लेकिन मनुष्य जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए निरंतर वृक्षो का दोहन कर रहा है ऐसा ना हो कि आने…
इस कविता में प्रकृति संरक्षण की बात कही गई है।
प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।
अंतर्राष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस -अकिल खान अन्याय पर जहाँ न्याय की होती है जीत, जुल्म का होता है अंत यही है यहाँ की रीत।मिलता है जहाँ सबको अधिकार, अत्याचार का जहाँ होता है तिरस्कार। गरीबों का हमदर्द और…
आज पर्यावरण असंतुलन हो चुका है . पर्यावरण को सुधारने हेतु पूरा विश्व रास्ता निकाल रहा हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका…
जनसंख्या वृद्धि देश और समाज के लिए गंभीर खतरा है। आबादी लगातार बढ़ रहे है। और संसाधन घट रहे है।
सोच को बदलना होगा,बढ़ते जनसंख्या पर काबू करना होगा और संसाधन में वृद्धि करनी होगी।
11 जुलाई 1987 को जब विश्व की जनसंख्या पाँच अरव हो गई तो जनसंख्या के इस विस्फोट की स्थिति से बचने के लिए इस खतरे से विश्व को आगाह करने एवं बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु 11 जुलाई 1987…