मनीभाई के हाइकु अर्द्धशतक भाग 7
हाइकु अर्द्धशतक ३०१/आज के नेताहै जनप्रतिनिधिनहीं सेवक। ३०२/है तू आजादबचा नहीं बहानातू आगे बढ़। ३०३/.मित्र में खुदाकरे निस्वार्थ प्रेमरिश्ता है जुदा। ३०४/ छाया अकालजल अमृत बिनधरा बेहाल। ३०५/ सांध्य सिताराशुक्र बन अगुआलड़े अंधेरा। ३०६/ स्वाभिमान हीसबसे बड़ी पूंजीजीवन कुंजी। ३०७/ बानी हो मीठीचुम्बकीय खिचावशीतल छांव। ३०८/ प्रेरणा पथखुला पग पग मेंपरख चल। ३०९/अच्छे करमपरलोक संपत्तिजीवन … Read more