सुंदर सा मेरा गाँव
सुंदर सा मेरा गाँव यही सुंदर सा मेरा गाँवपले हम पाकर सबका प्यार।यहाँ बनता नहीं धर्म तनावयहीं अपना सुखमय संसार।बजे जब यहाँ सुबह के चारकरें जब नृत्य विपिन में मोर। दिशा पूरब सिंदूर उभारनिशा की गोद तजे जब भोर।कृषक उठकर…
सुंदर सा मेरा गाँव यही सुंदर सा मेरा गाँवपले हम पाकर सबका प्यार।यहाँ बनता नहीं धर्म तनावयहीं अपना सुखमय संसार।बजे जब यहाँ सुबह के चारकरें जब नृत्य विपिन में मोर। दिशा पूरब सिंदूर उभारनिशा की गोद तजे जब भोर।कृषक उठकर…
कौन हो तुम? शब्दों के चित्र,कोरे कागज़ पर,स्याही उड़ेलकर,कलम को कूची बनाकर,कविता की सूरत,बला की खूबसूरत!कैनवास पर,भावों का समर्पण करउकेर देते हो!कौन हो तुम?कवि या कोई चित्रकार?छेनी-हथोड़े की तरह,औजार बनाकर,तराशी उंगलियों से,गढ़ते हो..पत्थर की मूरत,बला की खूबसूरत!फिर–फूंक देते हो प्राण,साँसों…
सर्दी मौसम पर कविता वो जाड़े की रात, ओस की बरसात,वो दिन का कुहासा, पढ़ने की आशा,बासंती पवन, मस्त होता है मन,वो ताजी हवाएं ,ये महकी फिजायेंबहुत खूब भाता है सर्दी का मौसम ।। सर्द जाड़े की आग, मालकौस की…
छत्तीसगढ़ी संस्कृति दक्षिण कोशल के बीहड़ वन मेंसाल, सागौन की है भरमारसतपुड़ा पठार शोभित उत्तर मेंमध्य है महानदी बस्तर पठारदेखो छत्तीसगढ़ की छटा मनोहरचलो करें हम वन विहार ।। है छत्तीसगढ़ का खेल ये अनुपम फुगड़ी,लंगड़ी,अटकन-बटकन कैलाश गुफा, बमलेश्वरी…
मेरी पलकें नमाज़ी हुई मेरी पलकें नमाज़ी हुई तेरे दीदार सेनूर बरसता है यूँ पाक़ तेरे रुख़सार से ।मुजस्सिम ग़ज़ल हो मेरी, उम्र की ताजमहल काबेयक़ीन हुआ नहीं मैं इश्क़ में ऐतबार से ।गोया कि तुम मेरे हाथ की लकीर…
सूरज का है आमंत्रण अंधेरों से बाहर आओ,सूरज का है आमंत्रण!बिखरो न यादों के संग,बढ़ो,लिए विश्वासी मन!अतीत के पन्नों पर नूतन,गीत गज़ल का करो सृजन!भीगी आंखों को धोकर,भर लो अब तुम नवजीवन!खुशियों को कर दो ‘अर्पण’,जियो औरों की ‘प्रेरणा’बन!! -डॉ.…
प्यार एक दिखावा न कसमें थीं न वादे थेफिर भी अच्छे रिश्ते थेआखों से बातें होती थींकुछ कहते थे न सुनते थेन आना था न जाना थाछत पर छुप कर मिलते थेवो अपनी छत हम अपनी छतबस दूर से देखा…
तीन ताँका नेकी की राहछोड़ते नहीं पेड़खाये पत्थरपर देते ही रहेफल देर सबेर । जेब में छेदपहुँचाता है खेदसिक्के से ज्यादागिरते यहाँ रिश्तेअचरज ये भेद । डूबा सूरजडूबते वक्त दिखारक्तिम नभलौट रहे हैं नीड़अनुशासित खग । ~ ● ~…
प्रजातंत्र पर कविता जहरीला धुंआ है चारो ओर,मुक्त हवा नहीं है आज,पांडव सर पर हाथ धरे हैं,कौरव कर रहे हैं राज! समाज जकड़ा जा रहा है,खूनी अमरबेल के पंजों में,नित्य फंसता ही जा रहा है,भ्रष्टाचार के शिकंजों में! आतंक का…
सुनो एक काम करते हैं सुनो एक काम करते हैं दोनों भाग जाते हैंचलेंगे उस जगह पे हम जहां सब मुस्कुराते हैंबहारों का हंसी मौसम जहाँ हर रोज़ रहता होपपीहे पीहू पीहू के जहाँ पे गीत गाते हैं दूर तक…