Category हिंदी कविता

निर्लज्ज कामदेव

निर्लज्ज कामदेव   ओ निर्लज्ज कामदेवतू न अवसर देखता है,न परिस्थितियाँन जाति देखता है, न आयुन सामाजिक स्तरयहाँ तक कि, कभी कभीतो रिश्ता भी नहीं देखतादेशों की सीमाएं ,तेरे लियेकोई मायने नहीं रखतीं. तेरे कारण हीन जाने कितने घर टूटेआज भी…

मन की लालसा किसे कहे

मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि     जीवन है मुट्ठी में रेत    धीरे धीरे फिसल रहा   खुशियां, हर्ष, गम प्रेम   इसी से मन बहल रहा। बचपन…

कुछ चिन्ह छोड़ दें -गीता द्विवेदी

कुछ चिन्ह छोड़ दें -गीता द्विवेदी मृत्यु आती है ,सदियों से अकेले ही ,बार – बार , हजार बारलाखों , करोड़ों , अरबों बार ।पर अकेले जाती नहीं ,ले जाती है अपने साथ ,उन्हें , जिन्हें ले जाना चाहती है…

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम”

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम” नील गगन  के विस्तार सेपंछी के फड़फड़ाते पंख से,उड़ रहे, पवन के संग ये उन्मुक्त विचार । पूर्ण चन्द्र के आकर्षण सेबढते उदधि में ज्वार से,उछलते, तरंगों के संगये उन्मुक्त विचार। बढती , सरिता के…

तृष्णा पर कविता

तृष्णा पर कविता तृष्णा कुछ पाने कीप्रबल ईच्छा हैशब्द बहुत छोटा  हैपर विस्तार  गगन सा है।अनन्त नहीं मिलता छोर जिसकाशरीर निर्वाह की होतीआवश्यकतापूरी होती है। किसी की सरलकिसी  की कठिनईच्छा  भी पूरी होती है।कभी कुछ कभी कुछपर तृष्णा  बढती जातीपूरी…

नारी पर कविता

स्त्री पर कविता ( Stree Par Kavita ): चैत्र नवरात्रि हिन्दु धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। चैत्र नवरात्रि चैत्र (मार्च अप्रेल के महीने) में मनाई जाती है, इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है। चूकी दुर्गा माँ…

शिव में ध्यान लगा -मनीभाई नवरत्न

शिव में ध्यान लगा शिव में ध्यान लगा, रे मनुवा.शिव में ध्यान लगा.शिव में ध्यान लगा, रे मनुवा.शिव में ध्यान लगा. मौका मिला तुझे , शिव से मिलने को .जाने ना दे ये पल, दिन है ढलने को ।वरना होगा…

बारिश पर कविता हिन्दी में

यहां बारिश पर कविता हिन्दी में दिए जा रहे हैं आप इनको पढ़के आनंद लें। बारिश का मौसम सर सर सरसराता समीरचम चम चमकती चपलाथम थम कर टपकती बूँदेंअनेक सौगात लाती बहारेंप्रेम का, खुशियों काबारिश के मौसम का। घनश्याम घिरे…

morning

भोर पर कविता -रेखराम साहू

भोर पर कविता –रेखराम साहू सत्य का दर्शन हुआ तो भोर है ,प्रेम अनुगत मन हुआ तो भोर है। सुप्त है संवेदना तो है निशा ,जागरण पावन हुआ तो भोर है। द्वेष की दावाग्नि धधकी हो वहाँ,स्नेह का सावन हुआ…

बीज मनुज का शैशव है-रेखराम साहू

बीज मनुज का शैशव है आभासी परिदृश्यों से अब,हुआ प्रभावित बचपन है।नयी दृष्टि है,सोच नयी है,विश्व हुआ अधुनातन है!! परिवेशों से अर्जित करता,सद्गुण-दुर्गुण मानव है।युगों-युगों से तथ्य प्रमाणित,बीज मनुज का शैशव है।।शैशव में पोषित मूल्यों से ,बनता भावी जीवन है..…