
जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते है/दीपक राज़
जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते है /दीपक राज़ जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते हैज़मीं से भी होती है ताल्लुक़ात जहाँ बैठते है ये जो फूल खिल रहे है ये जो भौंरे उड़ते हैंअच्छा लगता है जब…
जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते है /दीपक राज़ जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते हैज़मीं से भी होती है ताल्लुक़ात जहाँ बैठते है ये जो फूल खिल रहे है ये जो भौंरे उड़ते हैंअच्छा लगता है जब…
वन दुर्दशा पर हिंदी कविता अब ना वो वन हैना वन की स्निग्ध छायाजहाँ बैठकर विक्रांत मनशांत हो जाता थाजहाँ वन्य जीव करती थी अटखेलियाँजहाँ हिरनों का झुण्ड भरती थी चौकड़ियाँवन के नाम पर बचा हैमिलों दूर खड़ा अकेला पेड़कुछ…
सुरों की मल्लिका लता जी- जगदीश कौर कहाँ गई वो सुरों की मल्लिकाकहाँ गई वो मधुर सी कोकिलाजिसके सुरों के जादू से सारा हिंदूस्तां था फूलों सा खिला। छेड़ती थी जब सुरों की तान मंद -मुग्ध हो जाता हिन्दूस्तानतेरे गुनगुनाएं…
सुविचारित पग आगे बढ़ें मातृभूमि की सेवा करें,दलित शोषित समाज की पीड़ा हरें,निजी स्वार्थों से, ऊपर उठकर,पर हित में भी, ध्यान धरें,नव भारत के लिए, पथ गढ़ें,सुविचारित पग आगे बढ़ें! निर्धनता अभाव से जूझ रहे हैं लोग,अज्ञानता का व्याप्त है,…
भारत रत्न लताजी – ज्ञान भण्डारी दूर झितिज,एक तारा टूटा ,रूठा धरा से, वो यों रूठा ,स्वर लहरी का , हर सुर डोला,शोकाकुल है बसंती चोला। कर्तव्य बोथ का भान तुम्हे था ,वेदना का अहसास तुम्हे था ,तुमने किए लाखो…
मनीभाई के प्रेम कविता दुख की घड़ियां है दो पल की दुख की घड़ियां है ,दो पल की।फिर क्यों तेरी ,आंखें छलकी ।।याद ना कर ,बातें कल की ….जाने जां …जाने जां …जानेजां …जानेजां… माना दौर है , मुश्किल की…
मनीलाल पटेल की लघु कविता किसके बादल? स्वप्न घरौंदे तोड़के उमड़ता, घुमड़ता ।। बिना रथ के नभ में ये घन किसे लड़ता? नगाड़े ,आतिशबाजी नभ गर्जन है शोर । सरपट ही जा रहा किसके हाथों में डोर? भीग रहे, कच्ची…
मनीभाई नवरत्न की रोमांचित गीत प्यार मेरा तेरे लिए… प्यार मेरा तेरे लिए, तेरे लिए मेरा प्यार ।सबसे जुदा हसीन सबसे जुदा ।तुझ पर जानिसार ।तुझ पर जानिसार . मेरे यार मेरे यार. कदमों में तेरी पलके बिछा दूं।तू जो…
लता मंगेशकर पर कविता
बसन्त की सौगात – रमेश कुमार सोनी शरमाते खड़े आम्र कुँज में कोयली की मधुर तान सुन बाग-बगीचों की रौनकें जवां हुईंपलाश दहकने को तैयार होने लगे पुरवाई ने संदेश दिया कि-महुए भी गदराने को मचलने लगे हैं। आज बागों…