Category विविध छंदबद्ध काव्य

मतदाता पर कुण्डिलयाँ

मतदाता पर कुण्डिलयाँ?? भाग्य विधाता भाग्य विधाता देश का, स्वयं आप श्रीमान।मिला वोट अधिकार है, करिये जी मतदान।।करिये जी मतदान, एक मत पड़ता भारी।सभी छोड़कर काम, प्रथम यह जिम्मेदारी।।कहे अमित यह आज, नाम जिनका मतदाता।मिला श्रेष्ठ सौभाग्य, आप ही भाग्य…

केवरा यदु मीरा के दोहे

केवरा यदु मीरा के दोहे (1) चंदन माथे पर चंदन लगा, कैसा ढ़ोंग रचाय ।मंदिर मठ के नाम पर, वह व्यापार चलाय ।। (2)अग्निपथ सैनिक चलते अग्निपथ, लिये तिरंगा हाथ ।पीछे फिर हटते नहीं, कटे भले ही माथ ।। (3)दीपक…

गुरु घासीदास बाबा पर हिंदी कविता

गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है, के प्रवर्तक थे।

कुंडलियाँ – बेटी पर कविता

  बेटी पर कविता बेटी जा पिया के घर ,            गुड़िया नहीं रोना । सजा उस घरोंदे को,            साफ सुथरा रखना।। साफ सुथरा रखना,         पति सेवा तुम…

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ- कन्हैया साहू ‘अमित’

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ। ********************************कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।**दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।**इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।**उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।**कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।**शब्द चयन है सार, शिल्प अनुपम कुंडलिया।*…

आर आर साहू के दोहे

आर आर साहू के दोहे ईश प्रेम के रूप हैं,ईश सनातन सत्य।अखिल चराचर विश्व ही,उनका लगे अपत्य ।। कवि को कब से सालती,आई है पर पीर।हम निष्ठुर,पाषाण से,फूट पड़ा पर नीर।। क्रूर काल के कृत्य की,क्रीड़ा कठिन कराल।मानव का उच्छ्वास…

त्याग और विश्वास जहाँ हो सच्चा प्रेम वही है- डॉ एन के सेठी

सच्चा प्रेम वही प्रेम करो निस्वार्थ भाव सेस्वार्थ प्रेम नही है।त्याग और विश्वास जहाँ होसच्चा प्रेम वही है।। बिना प्रेम के ये जीवन हीलगता सूना सूना ।प्रेम होय यदि जीवन में तोविश्वास बढे दूना।। ईश्वर की स्वाभाविक कृति हैप्रेम कृत्रिम…

नारी पर आधारित कविता

नारी पर आधारित कविता नारी जगत का सार     नारी सृष्टि काआधार         जननी वो कहलाती              मान उसे दीजिये।।             ???नारी ईश्वर का रूप     उसकी शक्ति अनूप   …

माधुरी मंजरी- हिंदी काव्य

सेवा पर कविता सेवा वंचित मत रहो,तन मन दीजे झोकसेवा मे सुख पाइए,नहीं लगाओ रोक ।।1।। जो सेवा संपन्न है ,देव अंश तू जान ।इनके दर्शन मात्र से ,मिलते कई निदान ।।2।। सेवा का व्यापार कर ,बनते आज अमीर ।पीड़ित…