कइसे के लगही जाड़ !/ राजकुमार ‘मसखरे
कइसे के लगही जाड़ ! दुंग-दुंग ले उघरा बड़े बिहनियाझिल्ली,कागज़ बिनैया ल देख,कचरा म खोजत हे दाना-पानीतन म लपटाय फरिया ल देख ! होत मूंदराहा ये नाली, सड़क मखरेरा,रापा के तैं धरइया ल देख,धुर्रा, चिखला म जेन सनाय हवैअइसन बुता के करइया ल देख ! मुड़ म उठाये बोझा,पेलत ठेलादुरिहा ले आये हे,दुवारी म देख,हाँका … Read more