आज का नेता पर कविता जहाँ बहरी सियासत है, जहाँ कानून है अंधा।करें किसपे भरोसा तब, जहाँ पे झूठ है धँधा।विचारों पे लगा पहरा,बड़ा ये ज़ख्म है गहरा,भला क्या देश…
जीवन का शाश्वत सत्य भोर की बेला हुई, दिनकर की पलकें खुली।इंतज़ार ख़त्म हुआ, सौगात लेकर आई नयी सुबह।।धीरे धीरे आँखे खोल रहा,स्वर्ण किरणें बिखेर रहा।नयी सुबह प्रारंभ हुई, रात्रि…
चेहरे पर कविता सुनोकुछ चेहरोंके भावों को पढ़नाचाहती हूॅपर नाकाम रहती हूॅ शायदखिलखिलाती धूप सीहॅसी उनकीझुर्रियों की सुन्दरताबढ़ते हैंपढ़ना चाहती हूॅउस सुन्दरता के पीछेएक किताबजिसमें कितनेगमों के अफसाने लिखे हैंना…