आह्वान गीत
अभी और लड़ाई लड़नी है,तुमको अपने अधिकार की |
चुप होकर मत बैठो तुम,भेरी भरो हुंकार की ||
कितनी सदियां बीत गईं,पर तुम्हें न वो सम्मान मिला |
चिंतन करना होगा तुम्हें,अपने निरादर हार की || अभी और…
आज भी तुम अपवित्र हो,मंदिर(सबरीमाला) में प्रवेश वर्जित है |
कितनी कुत्सित-घृणित सोच है देखो इस संसार की ||अभी और..
विधवा,कुलक्षणा,सती,टोनही;येे सब किसने नाम दिए |
पूछो अग्नि परीक्षा क्यों,तुम्हारी ही हर बार की ||अभी और….
दोयम दर्जे में हो अभी भी तुम,यह बात भूल नहीं जाना |
बस अच्छे नारे हैं यहां,काग़ज़ी नीति सरकार की ||अभी और…
कभी कभी कोई बहन भी,तुम्हारी दुश्मन होती है |
स्वार्थ में करती है बचाव,जब वह गुनहगार की ||अभी और….
शोषण करने को तुम्हारा,पग-पग में बैठे लोग यहां |
कोई बाबा के वेश में तो,कोई ड्यूटी में पहरेदार की ||अभी और
दुष्टों का संहार करो तुम,दुर्गा- चंडी-काली बनकर |
ममता के संग में है ज़रूरत कभी-कभी तलवार की ||अभी और….
अंधविश्वास-कुरीति से,तुमको बाहर आना होगा |
आसमान छूने की बात,वरना है बेकार की || अभी और….
शिक्षा को तुम ढाल बनाओ,कवच आत्मनिर्भरता को |
बेड़ियां काट के बाहर निकलो,तुम घर और चारदीवार की ||
रमेश गुप्ता ‘प्रेमगीत’
सूरजपुर(छ.ग.)
मो- 9977507715