जिन्दगी पर कविता
जिन्दगी पर कविता जिन्दगी है, ऐसी कली।जो बीच काँटों के पली।पल्लवों संग झूल झूले,महकी सुमन बनके खिली। जिन्दगी राहें अनजानी।किसकी रही ये पहचानी।कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,कहीं पगडण्डियाँ पुरानी। जिन्दगी सुख का सागर ।जिन्दगी नेह की गागर।किसी की आँखों का नूर ,धन्य विश्वास को पाकर। जब डगमगाती जिन्दगी।गमगीन होती जिन्दगी ।मिले हौंसलों के पंख तबनभ में उड़ती है … Read more