Category: हिंदी कविता

  • बेचकर देखों मुझे जरा

    बेचकर देखों मुझे जरा


    पूछने से पहले जवाब बना लिये।
    यार  सवाल तो गजब़ बना लिये।


    किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,
    मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये।

    और और,और कहते रहे गम को,
    लो आशुओं का हिसाब बना लिये।


    मेरी मिलकियत न रहीं वजूद मेरा,
    समाज से कहों कसाब बना लिये।

    सौ-सौ सवाल गोजे पे रसीद मार,
    जला यों की आफताब बना लिये।


    मेरे दर्द पर नमक भी छिंड़क दो,
    हमनें जिंदगी को किताब बना लिये।

    बड़ा घमंड़ है जातीय व्यवस्था पर,
    तुम्हे क्या पता तेजाब बना लिये।


             ✍पुखराज यादव प्रॉज
                      महासमुन्द (छ.ग.)

                       9977330179

  • जीवन की डगर

    जीवन की डगर

    कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
    जीवन की डगर पर साथ चले।
    लक्ष्य को पाना है एक दिन,
    निशदिन समय के साथ चलें।
    सुख दु:ख के हम सब साथी,
    अपनत्व प्यार बाँटते चलें।
    अटल विश्वास हमारा मन में,
    मंज़िल की ओर हम बढ़ चलें।
    हिम्मत,परिश्रम और लगन से,
    अनेक बाधाओं के पार चलें।
    मोह माया के इस भँवर जाल से,
    भक्ति की नैया से भव तर चलें।
    नफरत की अजब इस दुनिया में,
    सद्भाव के नए तराने गाते चलें।
    प्रत्येक राहगीर के मन मंदिर में,
    दिव्य ज्ञान के दीप जलाते चलें।
    पथ में मिल जाए गर दीन-दुखी,
    ‘रिखब’सबको गले लगाते चलें।
    कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
    जीवन की डगर पर साथ चलें।
    ® रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सुख दुख पर कविता

    सुख दुख पर कविता

    सुख का सागर भरे हिलोरे।
    जब मनवा दुख सहता भारी।
    सुख अरु दुख दोनों ही मिलकर।
    जीवन की पतवार सँभारी।
    दुखदायी सूरज की किरणें।
    झाड़न छाँव लगे तब प्यारी।
    भूख बढ़े अरु कलपै काया।
    रूखी सूखी पर बलिहारी।
    पातन सेज लगे सुखदायक।
    कर्म करे मानव तब भारी।
    लेय कुदाल खेत कूँ खोदे।
    स्वेद बूँद टपके हदभारी।
    मानुष तन कू सार यही है।
    सुख दुख लोगन कू हितकारी।
    ऐसो खैल रचे मनमोहन,
    ‘भावुक’ जाय आज बलिहारी!!
    ~~~~भवानीसिंह राठौड़ ‘भावुक’
    टापरवाड़ा!!!
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सरस्वती वंदना

    सरस्वती वंदना

    माँ सरस्वती शारदे
    बुद्धि प्रदायिनी ज्ञानदायिनी
    पद्मासना श्वेत वस्त्रा माँ
    अज्ञानता हर ज्ञान दे माँ हंसवाहिनी।
    तेरे चरणों की पावन रज कण
    ललाट पर मेरे सुशोभित रहे माँ
    विस्तार हो मेरे ज्ञान का असीमित
    कलम मेरी वरदहस्त रहे माँ।
    धूप दीप नैवेद्य शुभ अर्चन वंदन
    कष्ट पीर विपत्ति हर दे माँ मेरे
    ज्ञानचक्षु का दिव्य प्रकाश दे माँ
    विशाल शब्द शक्ति हो माँ पास मेरे।
    हे वीणावादिनी कमल आसनी
    उज्ज्वल दिव्य प्रकाश दे माँ
    अज्ञान तम का निस्तार कर दे
    सफलता का निर्मल आकाश दे माँ।
    वाग्देवी महामाया महारूपा तू है माँ
    ज्योतिपुंज महाभागा तू ही सुखदायिनी
    सौभाग्य उदय हो आशीष से माँ
    करबद्ध नमन माँ ज्ञान प्रदायिनी।
    कुसुम लता पुंडोरा
    नई दिल्ली
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  • हर पल उत्सव सा मनालें

    हर पल उत्सव सा मनालें – केवरा यदु “मीरा “

    holi
    holi

    जिंदगी चार दिन की  चलो गीत गालें ।
    हँस लें हम खुद औरों  को भी हँसालें ।
    चाहें तो जिन्दगी को हम इस तरह सजालें ।
    हर दिन दिवाली होली उत्सव मनालें ।


    न बेरंग जीवन  हो संग मिलकर संवारें ।
    रहें हरपल मगन छूटे हँसी के फव्वारें।
    न हो भूखा पड़ोसी चलो मिल बाँट खालें।
    जिंदगी का हर पल उत्सव सा मनालें ।


    बेंटियों को रावण से  चल कर बचालें ।
    सिसकती हुई बेटियों को हम हँसालें ।
    रंगों की होली  से तन मन  रँगालें ।
    दुश्मन रहे न कोई  मीत सबको बनालें ।


    जिंदगी है उत्सव  नहीं उदासी हम पालें
    चलो आज  सबको गले से लगालें।


    केवरा यदु “मीरा “
    राजि