इन्तजार पर कविता

इन्तजार पर कविता विसंगति छाई संसृति मेंकरदे समता का संचार।मुझे ,उन सबका इन्तजार…। जीवन की माँ ही है, रक्षकफिर कैसे बन जाती भक्षक ?फिर हत्या, हो कन्या भ्रूण की या कन्या नवजात की ।रक्षा करने अपनी संतान कीजो भरे माँ दुर्गा सा हुँकारमुझे, उस माँ का इन्तजार….। गली गली और मोड़ मोड़ परहोता शोषण छोर … Read more

संस्कार पर कविता

संस्कार पर कविता अहो,युधिष्ठिर हार गया है,दयूत् क्रीड़ा में नारी को,दुःसाशन भी खींच रहा है,संस्कारों की हर साड़ी को। अपनी लाज बचाने जनता,सिंहासन से भीड़ जाओ तुम,भीख नही अधिकार मांगने,कली काल से लड़ जाओ तुम,विपरित काल घोर कलयुग है,ना याद करो गिरधारी को। अहो,युधिष्ठिर….सदियों को संस्कार सिखाकर,हम अब तक सीना ताने हैं।अपनाओ न पाश्चात्य सभ्यता,रिश्ते … Read more

क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो

क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो क्यूँ  झूठा  प्यार  दिखाते  हो ….दिल  रह  रह  कर  तड़पाते  हो .. गैरों  से  हंसकर  मिलते  होबस  हम  से  ही  इतराते  हो घायल  करते  हो  जलवों  से …नज़रों  के  तीर  चलाते  हो … जब  प्यार  नहीं  इज़हार  नहीं …फिर  हम  को  क्यूँ  अज़माते  हो .. आ  जाओ हमारी  बांहों  में … Read more

भारत का लाज बन जायें

भारत का लाज बन जायें भारत का लाज बन जायें।मुल्क की नाज बन जायें।युग – युग अमर कहानेभारत का लाल बन जायें। प्रण करें करबद्ध चित,नित प्रतिदिन करते नमन।सदैव ही मेरे वतन का,इस धरा पर मैं लूँ जनम। प्रेम के हम राग बन जायें।मुल्क की नाज बन जायें। रक्षक बन तत्पर भीड़ पड़े,शत्रु के जब … Read more

फरियादी हो (बेटी पर कविता)

फरियादी हो (बेटी पर कविता) आज कोख की बेटी ही,अब पूछे बन फरियादी हो। बिना दोष क्यों बना दिया है,मुझको ही अपराधी हो। ईश विधान जन्म मेरा फिर,तुम क्यों पाप कमाते हो।सुख दुःख का अनुमान लगा,हत्यारे बन जाते हो।आज कोख……। घर बगिया की  कोमल कलिका , मुझसे ही घर शोभित हो।अँगना में किलकारी मेरी,रिमझिम ध्वनि पग … Read more