चतुष्पदी (मुक्तक) क्या है ? इसके लक्षण व उदाहरण
चतुष्पदी (मुक्तक)—
समान मात्राभार और समान लय वाली रचना को चतुष्पदी (मुक्तक) कहा गया है । चतुष्पदी में पहला, दूसरा और चौथा पद तुकान्त तथा तीसरा पद अतुकान्त होता है और जिसकी अभिव्यक्ति का केंद्र अंतिम दो पंक्तियों में होता है ! यूं कह सकते हैं कि शुरू के दो पदों में कोई बात शुरू की जाती है और अंतिम दो पदों में खत्म । यानि अगली पक्तियों की जरूरत ही न पड़े । मुक्तक मंच पर हम चतुष्पदी रचना पर चर्चा करेंगे।
चतुष्पदी (मुक्तक) के लक्षण-
१. इसमें चार पद होते हैं
२. चारों पदों के मात्राभार और लय समान होते हैं
३. पहला , दूसरा और चौथा पद तुकान्त होता हैं जबकि तीसरा पद अनिवार्य रूप से अतुकान्त होता है
४. कहन कुछ इस तरह होती है कि उसका केंद्र बिन्दु अंतिम दो पंक्तियों में रहता है , जिनके पूर्ण होते ही पाठक/श्रोता ‘वाह’ करने पर बाध्य हो जाता है !
५. मुक्तक की कहन कुछ-कुछ ग़ज़ल के शे’र जैसी होती है , इसे वक्रोक्ति , व्यंग्य या अंदाज़-ए-बयाँ के रूप में देख सकते हैं !
उदाहरण :
हकीकत छुपाने से क्या फायदा।
गिरे को दबाने से क्या फायदा।
अरे मुश्किलों से सदा तुम लड़ो,
निगाहें बचाने से क्या फायदा।।