आना कभी गाँव में – बलवंत सिंह हाड़ा

village based Poem

ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं। परम्परागत रूप से गाँवों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएँ होती हैं। विकिपीडिया … Read more

गरीबी पर कविता

नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो। अहं में फूल कर चलता कभी नीचे नहीं देखा,मिले जब सीख दुनियाँ में लगे ठोकर कभी अब तो। बदल देता नज़ारा है सुई जब वक्त की घूमे,भले कितना करें अफ़सोस समय लौटे … Read more

विदाई गीत /कविता

तुम रुक न सको सौजन्य-अरुणा श्रीमाली तुम रुक न सको तो जाओ, तुम जाओ.. तुम रुक न सको तो जाओ, तुम जाओ… पढ़-लिख कर विश्राम न करना कर्म-क्षेत्र में आगे बढ़ना । यही कामना आज हमारी, तुम्हें इसे है पूरी करना । अपना भविष्य बनाओ, तुम जाओ ॥ विदा कर रहे आज तुम्हें हम, हृदय … Read more

स्वागत समारोह गीत /कविता

[1] उल्लास भरे दिल से ० सौजन्य-प्रतिभा गोयल उल्लास भरे दिल से हम स्वागत करते हैं आंगन में बहार आई, औ’फूल बरसते हैं। उल्लास भरे दिल से….. ल पलकों से है प्रियवर, यह पंथ हमारा है। अरमान भरे दिल में, हम खुशियाँ मनाते हैं ।। उल्लास भरे दिल से. घड़ियाँ ये सुहानी हैं, खुशियों का … Read more

मकर संक्रान्ति पर सुमित्रानंदन पंत की कविता

patang subh makar sankranti

14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर (जाता हुआ) होता है। इसी कारण इस पर्व को ‘उतरायण’ (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। और इसी दिन मकर संक्रान्ति पर्व मनाया जाता है. जो की भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है।  सुमित्रानंदन पंत जन पर्व मकर संक्रांति आजउमड़ा नहान को … Read more