धनवन्तरि भगवान पर कविता
धनवन्तरि भगवान ====================मंथन हुआ समुद्र का, धनवन्तरि भगवान। चौदह रत्नों मे मिले, लिए देव पहचान।। कर मे अमृत कलश था , देव -दनुज मे छोभ। पीने का नहि संवरण, कर पाये वे लोभ।।विश्व मोहिनी हाथ से, अमृत गया परोस। सुर…

हिंदी कविता संग्रह

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धनवन्तरि भगवान ====================मंथन हुआ समुद्र का, धनवन्तरि भगवान। चौदह रत्नों मे मिले, लिए देव पहचान।। कर मे अमृत कलश था , देव -दनुज मे छोभ। पीने का नहि संवरण, कर पाये वे लोभ।।विश्व मोहिनी हाथ से, अमृत गया परोस। सुर…
गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से…
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। “शिक्षक दिवस मनाने का यही…
करो लोकहित तुम मनुज जब तक तन में प्रान देश सदा उन्नति करे ,मन में लेना ठान ।करो लोकहित तुम मनुज ,जब तक तन में प्रान ।। है स्वतंत्र यह देश है ,बनो नहीं अंजान ।निर्भर होना छोड़ तू,इसकी बन…
मनोरमा चन्द्रा रायपुर: रमा के रमणीय बोल ----
07/09/2020
दोहा -- छंद
हिम्मत रख मल्लाह तूफानों के बीच में बनकर नन्हा दीप , तूफानों से लड़ रहा ।निश्चित जीत महीप , कृपा दृष्टि प्रभु आपकी ।। सफर नहीं आसान , साथी बढते ही चलो ।बहुत बड़ा तूफान , लहरों के कारण कई…
विरोधाभासपूर्ण कविता आर आर साहू, छत्तीसगढ़ हो न यदि संवेदना पर पीर की,मोल क्या जानोगे श्री रघुवीर की! दुष्ट दुर्योधन दुशासन हैं जहाँ,दुर्दशा है द्रौपदी के चीर की। सत्य को सूली लगाकर आज वो,छद्म पूजा कर रहे तस्वीर की। रौशनी…
मैं हूँ "मीरा बावरी"- केवरा यदु "मीरा "
मन का मंथन मंथन मानस का करो , जानो सत्य असत्य ।कहाँ गुमी हैं मंजिलें , बूझ दिशा क्या गत्य ।।बूझ दिशा क्या गत्य , लक्ष्य से कब है छूटा ।भटका अपने मूल , स्वार्थ में किसको लूटा ।।कह ननकी…
आदमी पर उपर लिखी गयी कविता सोरठा छंद में
शिव महिमा (शंकर छंद विधान) : 26 मात्रा 16,10पर यति पदान्त गुरु लघु प्रति दो चरण तुकांत।प्रस्तुत कविता शंकर छंद विधान पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
धनतेरस पर कविता अमृत कलश के धारक,सागर मंथन से निकले।सुख समृद्धि स्वास्थ्य के,देव आर्युवेद के विरले।चार भुजा शंख चक्र,औषध अमृत कलश धारी।विष्णु के अवतार हैं देव,करें कमल पर सवारी।आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि,हैं आरोग्य के देवता।कार्तिक त्रयोदशी जन्म हुआ,कृपा करें धनदेवता।पीतल…