मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह

मित्र और मित्रता पर कविता हो दया धर्म जब मित्र में,सुमित्र उसको मानिए।ना मैल हो मन में कभी, कर्मों को नित छानिए।आदर सेवा दे मित्र को,प्यार भी दिल से करो।दुखडा उस पर कभी पड़े, दुःख जाकर के हरो।मित्रों से नाता कभी भी ,भूल कर तोड़ों नहीं। पथ बिचमें निज स्वार्थवश,ज्ञातरख छोड़ी नहीं। भाव रख उत्तम … Read more

रामधारी सिंह दिनकर/ बाबूराम सिंह

रामधारी सिंह दिनकर जी तेईस सितम्बर  सरस,सन उन्नीस सौ आठ।बालक एक जन्म लिया,शुभ सेमरिया घाट।। बेगु   सराय  बिहार  में ,  है  सेमरिया   घाट।होनहार बालक हुआ,मिला न जिनका काट।। मन में ज्ञानालोक ले ,सुख-दुख सह आघात।नाम रामधारी  पड़ा ,हुआ  जगत विख्यात।। महा  धर्मज्ञ   मर्मज्ञ   थे , राह  प्रदर्शक  नेक। सुकवि हृदय विशाल रहे,लख लाखों में एक।। … Read more

दिनकर जी पर दोहे – बाबूलाल शर्मा

doha sangrah

दिनकर जी पर दोहे – बाबूलाल शर्मा दिनकर दिनकर से हुए,हिन्दी हिन्द प्रकाश।तेज सूर जैसा रहा, तुलसी सा आभास।।.जन्म सिमरिया में लिये, सबसे बड़े प्रदेश।सूरज सम फैला किरण, छाए भारत देश।। भूषण सा साहित्य ध्रुव, प्रेमचंद्र सा धीर।आजादी के हित लड़े,दिनकर कलम कबीर।। भारत के गौरव बने, हिन्दी के सरताज।बने हिन्द के राष्ट्रकवि,हम कवि करते … Read more

मानवता पर ग़ज़ल – बाबूराम सिंह

मानवता पर ग़ज़ल तपस्या तपमें गल कर देखो।सत्य धर्म पर चल कर देखो।। प्रभु भक्ति शुभ नेकी दान में,अपना रूख बदलकर देखो। दीन-दुखीअबला-अनाथ की,पीड़ा बीच पिघल  कर  देखो। सेवा समर्पण  शुभ  कर्मों  में,शुचि संगत में ढ़ल कर देखो। त्याग  संतोष होश रखो जग,सचमें सदा मचल कर देखो। करूणा  दया  हया  मध्य रह,पग-पग नित संभलकर देखो। … Read more

नारी की सुन्दरता पर कविता – बाबूलाल शर्मा

नारी की सुन्दरता पर कविता नीति नियामक हाय विधायक,भाग्य कठोर लिखे हित नारी।सत्य सदा दिन रात करे श्रम,वारि भरे घट ले पनिहारी।पंथ चले पद त्राण नहीं पग,कंटक कष्ट हुई पथ हारी।‘विज्ञ’ निहार अचंभित मानस,सुंदर नारि कि सुंदर सारी।. ….👀🌹👀….केश खुले घन कृष्ण घटा सम,ले घट हाथ टिका कटि धारे।गौर शरीर लगे अति कोमल,नैन झुके पर … Read more