जन-जन की रक्षा है करती |
भक्तजनों के दुख भी हरती ||
ऊँचे पर्वत माँ का डेरा |
माँ करती है वहीं बसेरा ||
भक्त पुकारे दौड़ी आती |
दुष्टजनों को धूल चटाती ||
भक्तों की करती रखवाली |
जगजननी माँ खप्परवाली ||
भक्त सभी जयकार लगाते |
चरणों में नित शीश नवाते ||
मनोकामना पूरी करती |
खुशियों से माँ झोली भरती ||
हरीश बिष्ट “शतदल”
स्वरचित / मौलिक
रानीखेत || उत्तराखण्ड ||
Blog
प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ट
जय जय हनुमान पर कविता हिंदी में – बाबूराम सिंह
जय जय हनुमान पर कविता
जय भक्त शिरोमणि शरणागत जय हो कृपानिधान।
जयबजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।।
जय आनंद कंदन केशरी नंदन जग वंदन शुभकारी।
जय मद खलगंजन असुरनिकंदन भवभंजन भयहारी।
जय जयजनपालक द्रुतगतिचालक सुचिमय फलहारी।
जय श्रीहरि धावन प्रभु गुणगावन पावन प्रेम पुजारी।
जय अंजनी लाला शुभ योग निराला जय महिमान।
जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय-जय हनुमान।
जय संकट मोचन विभुलोचन जयमनमोहक मधुरारी।
जय कौतुककारक शोकनिवारक जय उत्तमब्रह्मचारी।
जय हनुमत बाला सूक्ष्म बिशाला सुर संतन हितकारी।
जय सुरसा उध्दारक शुचि तारक वानरजूथ बलकारी।
लंका जारक अक्षय मारक जय हे अतुलित बलवान।
जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय-जय हनुमान।
जय पथ प्रदर्शक बल बर्द्धक जय जय करुणा सागर।
जय भाग्यविधाता श्रेष्ठ ज्ञान ज्ञाता दाता में अतिनागर।
जय विकटानन मर्दि दशानन पटक दियो जस गागर।
जय भक्ति प्रपति शरणागति दाता हरि सेवा में आगर।
महिसागर कानन विजयानन देहु चरणमें भक्तिदान।
जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो०नं० – 9572105032
———————————————–साक्षरता अभियान – बाबूराम सिंह
विश्व साक्षरता दिवस की हार्दिक मंगल शुभ कामनायें
साक्षरता अभियान
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साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगायें।
जन-जन साक्षर भव्य बनायें,ज्ञान ज्योति फैलायें।
बिना विद्या नर बैल समाना ,कहता है जग सारा।
मिटे नहीं विद्या बिन कभीभी,मानव मनअँधियारा।
तम अंधकार तिमिर सभी मिल,आओ दूर भगायें।
साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगायें।
विद्या धन ऐसा है जगत में,बाँट न सकता कोई।
बिन विद्याअग-जग में किसीका,भला कभी न होई।
जन मानस आलोकित होवें ,ऐसा यत्न रचायें।
साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगायें।
भेद कभी बेटा – बेटी में , करे नहीं जग सारा।
सभी हो साक्षर पढ़े -लिखे, हो यह सबका नारा।
बढ़े प्रगति के पथ पर आगे ,सबको यह बतलायें।
साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगाये।
मानव प्रगति का इतिहास है, सहयोग आपस का।
बिना एकता दृढ़ हो जाना,नहीं किसी के बस का।
एकमत हो सब समझे बुझे,इसको सफल बनायें।
साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगाये।
साक्षर जब जन-जन होगा तब ,फैलेगा उजियारा।
जागृत होगा भव्य ज्ञान से ,भारत वर्ष हमारा।
जन मानस मध्य ज्ञानालोक, सदा सरस फैलायें।
साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगाये।
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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो॰ नं॰ – 9572105032
———————————————————-गणपति बाबा
गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।गणपति बाबा
आरती सजा के आयेँव हँव द्वार तोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
तोर आशीष से भाग चमक जाही।
निर्धन हर घलो रहिस बन पाही।
तोर दया से जिनगी होही अँजोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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मुषवा म सवार होके घर मोर आये।
रिद्धि सिद्धि ला संग म प्रभु तैं लाये।
देवा के जयकारा होवत हे चारों ओर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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तैं हावस प्रभु विद्या बुद्धि के दाता।
तोर मोर हावै जनम -जनम के नाता।
भक्त भगवान के टूटे झन माया डोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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एक बछर मा देवा नौ दिन बर आथस ।
सब्बो के जिनगी म खुशियाँ दे जाथस।
गणपति कृपा से आही सुनहरा भोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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गीता सागरश्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता
श्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता
सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं।
राधा पुकारे तोहे
राधा पुकारे तोहे श्याम हाथ जोड़ कर।
आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर।।
आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।रूठ गई निंदिया श्याम , चैनों करार भी।
प्रीत जगाके काहे मुझको बिसार दी।
भूल नहीं जाना कान्हा दिल से नाता जोड़ कर।।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ—बाँसुरी बजा के कान्हा फिर से बुलाने आजा।
पूनम की रात मोहन रास रचाने आजा।
यमुना तट पे बैठी हूँ मैं जाऊँ ना छोड़ कर।।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
आ जाओ–मधुबन उदास कान्हा यमुना उदास है।
रोते हैं ग्वाले तेरे दर्शन की प्यास है ।
मुड़कर कर न देखा श्याम हमसे नाता जोड़ कर।।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ–नैनों से नीर बरसे कान्हा तेरी याद में ।
मर न जाऊँ रो रोकर पछताओगे बाद में ।
कैसे तुम जीते हो मोहन हमसे मुँह मोड़ कर।।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
राधा पुकारे तोहे श्याम हाथ जोड़ कर।
आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ—केवरा यदु “मीरा “
राधा-(मनहरण घनाक्षरी)
राधा रम्या सर्ववन्द्या
भुक्ति मुक्तिप्रदाआद्या
वृन्दावनविहारिणी
मात कृपा कीजिए।।ईश्वरी परमेश्वरी
रमा पूर्णा रासेश्वरी
पूर्णचंद्रविमानना
दुःख हर लीजिए।।राधे परम पुनीता
माते नित्य नवनीता
राधिका किशोरी मात
दया दान दीजिए।।दिव्या नवल किशोरी
मृदुल भाषिणी भोरी
सिंधु स्वरूपा श्री राधे
भक्तों पर रीझिए।।*©डॉ एन के सेठी*
जागे वो पाये
श्री राधा अष्टमी जन्म दिवस विशेष—
आज का छंद :— सम्मोहा
पंचाक्षरावृत्ति
गण संयोजन — म ग ग ( 22222 )
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दाऊ के भैया ।डोले है नैया।।
हो जी खेवैया।थामों जी बैंया।।
गोपी ये बोली।हौले से डोली।।
राधा को लाओ। कान्हा जी आओ।।
अंजानी राहें। फैलाती बाहें।।
जानें हों कैसी। ऐसी या वैसी।।
कैसे मैं जाऊँ।कैसे बताऊँ।।
तो पै मैं वारी। कान्हा मैं हारी।।
तेरी ये यादें।तोहे लौटादें।।
गोपी ने जाना ।झूठा ये माना।।
झूठी ये काया ।झूठी है माया।।
आया है जो भी। जाएगा वो ही।।
मौनी है राधा। क्यों आये बाधा।।
जोगी ये जाने। भोगी भी माने।।
संसारी रोए। नैंना ये खोए।।
साँसें खो जाये।जागे वो पाये।।
—गीता उपाध्याय
रायगढ छत्तीसगढ़