बचपन पर कविता

जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के आयु काल को कहते है। विकासात्मक मनोविज्ञान में, बचपन को शैशवावस्था (चलना सीखना), प्रारंभिक बचपन (खेलने की उम्र), मध्य बचपन (स्कूली उम्र), तथा किशोरावस्था (वयः संधि) के विकासात्मक चरणों में विभाजित किया गया है। इसी प्यारे बचपन पर ही आधारित है यह बचपन पर कविता बचपन पर कविता मेरा बचपन- … Read more

प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ठ शतदल

morning

प्रात: वन्दन करे अमंगल को मंगल, पवनपुत्र हनुमान |सम्मुख उनके आने से , डरें सभी शैतान || हृदय बसे सिया-राम जी, श्रद्धा-भक्ति अपार |शिवजी के बजरंगबली , जग में रूद्र अवतार || संकट सारे भक्तों के , पल में देते टार |भजे सिया अरु राम संग़, यह सारा संसार || भक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं , … Read more

वीर जवानों तुझे सलाम – बाबूराम सिंह

वीर जवानों तुझे सलाम आन – बान और शान देश की नही रुकने देते।वन्दे मातरम गान तिरंगा झंडा़ नहीं झुकने देते ।देश हित में फूलते-फरते करते सदा देशका नाम।देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम। बुरे नियत वालों को नाकों चना चबवा देते।दुश्मनों को धूल चटा छण भर में छक्का छुडा़ देते। राष्ट्र रोग को … Read more

शिक्षक की अभिलाषा – अखिल खान

5 अक्टूबर 1994 को यूनेस्को ने घोषणा की थी कि हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने के लिए इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र … Read more

गुरु ज्ञान का सागर -रुपेश कुमार

गुरु ज्ञान का सागर जीवन की सबसे पहले गुरु ,माता पिता होते है ,जीवन में गुरु का नाम ,सबसे ऊंचा होता है ,गुरु जीवन में मेरे ,साइकिल के पहिए जैसा होते है ,गुरु ज्ञान का सागर ,गुरु महासागर होते है ! गुरु बिन ज्ञान हमें नहीं ,कभी नहीं है मिलता ,गुरु बिन जीवन की कल्पना … Read more