Collections Of Hindi Poems
-
कलम पर कवितायें
हाय! कलम क्यों थककर बैठी? ध्येय अधूरा है फिर भी तुम, कैसे करती हो विश्राम?हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम? नहीं…
-
वर्तमान परिस्थितियों पर कविता
हो रहा कटु द्वेष का आयात है अब न जीवन में रही वह बात है,दिन नहीं उजला न उजली रात है। क्या कहें सम्बन्ध के…
-
हिन्दी वर्णमाला पर कविता
हिन्दी वर्णमाला विचार अ से अनार , का फल है ताजा ।आ से आम , फलों में राजा । इ से इमली , वो खट्टी-खट्टी…
-
इसरो चन्द्रयान पर कविता
इसरो चन्द्रयान पर कविता : भारत की चन्द्रक्रान्ति में इसरो के अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों पर हर इसरोजन को नमन और एक भारतीय के रूप…
-
सावन पर कविता
सावन-सुरंगा सरस-सपन-सावन सरसाया ।तन-मन उमंग और आनंद छाया ।‘अवनि ‘ ने ओढ़ी हरियाली ,‘नभ’ रिमझिम वर्षा ले आया । पुरवाई की शीतल ठंडक ,सूर्यताप की…
-
भगवान पर कविता – निमाई प्रधान ‘क्षितिज’
भगवान पर कविता – शब्दों से परे है वह – निमाई प्रधान ‘क्षितिज’ भावों के सर्गों में स्पंदित परमाणुओं का लय है !शब्दों से परे…
-
निर्लज्ज कामदेव
निर्लज्ज कामदेव ओ निर्लज्ज कामदेवतू न अवसर देखता है,न परिस्थितियाँन जाति देखता है, न आयुन सामाजिक स्तरयहाँ तक कि, कभी कभीतो रिश्ता भी नहीं देखतादेशों…
-
सुधा राठौर जी के हाइकु
सुधा राठौर जी के हाइकु छलक गयापूरबी के हाथों सेकनक घट★बहने लगींसुनहरी रश्मियाँविहान-पथ★चुग रहे हैंहवाओं के पखेरूधूप की उष्मा★झूलने लगींशाख़ों के झूलों परस्वर्ण किरणें★नभ में…
-
निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु
निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु *[1]* *हे रघुवीर!**मन में रावण है* *करो संहार ।* *[2]**सदियाँ बीतीं* *वहीं की वहीं टिकीं* *विद्रूपताएँ ।* *[3]**जाति-जंजाल**पैठा अंदर तक**करो विमर्श…
-
मन की लालसा किसे कहे
मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि जीवन है मुट्ठी में…
Got any book recommendations?